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दिल्ली सरकार और एलजी में एक बार फिर से ठनी रार;अवैध निर्माण सम्बन्धी फाइलें मंगवायीं एलजी ने

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दिल्ली सरकार और एलजी में एक बार फिर से ठनी रार;अवैध निर्माण सम्बन्धी फाइलें मंगवायीं एलजी ने

राजनीति//Delhi/New Delhi :

राजधानी में एलजी ऑफिस ने आरोप लगाया है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करके अवैध तरीके से खड़े किए गए धार्मिक स्थलों को हटाने की परमिशन से जुड़ी कुछ फाइलें ,2017 से दिल्ली सरकार के पास पेंडिंग पड़ी हुई हैं। लेकिन, धार्मिक मामलों की समिति के द्वारा मंजूरी दिए जाने और अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी कर लेने के बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक इन ढांचों को हटाने की परमिशन नहीं दी है। इसलिए धार्मिक स्थलों को हटाने की परमिशन से जुड़ी सारी फाइलें एलजी ने अपने पास मंगा ली हैं। एलजी के आदेश के बाद एक बार फिर उनकी दिल्ली सरकार के साथ रार ठन गयी है। 

विशेषाधिकार का इस्‍तमाल करेंगे एलजी? 
दिल्‍ली सरकार के पास फाइलें पेंडिंग होने के चलते एमबी रोड, एमजी रोड, धौला कुआं-आरटीआर रोड, रिंग रोड, लोनी रोड और बुराड़ी रोड समेत कई अन्य प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक कंजेशन बढ़ रहा है। साथ ही दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेस वे और जीपीआरए स्कीम के तहत सरकारी फ्लैट्स बनाने समेत कुछ अन्य सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की भी देरी होने की आशंका है। इसी को देखते हुए एलजी ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश देकर अवैध धार्मिक स्ट्रक्चर हटाने की परमिशन से जुड़ी सभी फाइलें अपने पास मंगा ली हैं। माना जा रहा है कि अब एलजी खुद अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इन फाइलों पर मंजूरी दे देंगे ताकि अवैध ढांचों को हटाया जा सके।

एलजी के आरोप निराधारः मनीष सिसोदिया 
आखिर एलजी दिल्ली में मंदिरों पर बुलडोजर चलवाने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं? सिसोदिया ने कहा कि एलजी के आरोप पूरी तरह निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। एक तरफ उन्होंने खुद दिल्ली सरकार की एक-एक फाइल रोक रखी है। वहीं दूसरी तरफ वह हम पर मंदिरों को तोड़ने की इजाजत न देने का आरोप लगा रहे हैं? एलजी की हरकतें उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह पैदा करती हैं। 

सिसोदिया ने कहा, जल्‍दबाजी नहीं कर सकते
सिसोदिया ने आगे कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उप-राज्यपाल इतने संवेदनशील मामले पर राजनीति कर रहे हैं। यह विचाराधीन मामला शहर में दशकों से मौजूद कई बड़े मंदिरों सहित अन्य धार्मिक ढांचों को हटाने की मंजूरी देने से संबंधित है। धार्मिक ढांचों में कोई भी संशोधन करने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता। उन्हें गिराने की अनुमति देना तो दूर की बात है। 

शिक्षक ट्रेनिंग ज्यादा ज़रूरी 
एक बार फिर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने का मुद्दा उठाते हुए एलजी से पूछा कि आपके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग ज्यादा जरूरी है या मंदिरों को तोड़ना जरूरी है? अगर एलजी खुद को दिल्ली के लोगों का लोकल गार्जियन कहते हैं, तो फिर वह सार्वजनिक हित की परियोजनाओं को मंजूरी क्यों नहीं देते हैं? डीईआरसी के अध्यक्ष व कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति के प्रस्तावों से जुड़ी फाइलें भी लंबे समय से उनके पास पेंडिंग पड़ी है। आखिर एलजी उन्हें पास क्यों नहीं कर रहे? 

एलजी ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि 2009 के बाद सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाए गए धार्मिक ढांचों को हटाकर जगह खाली कराई जाए। होम डिपार्टमेंट ने 16 दिसंबर को भी डिप्टी सीएम से इन फाइलों पर मंजूरी देकर इन्हें एलजी के पास भेजने का अनुरोध किया था, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसी के बाद अब एलजी ने सभी फाइलें सीधे अपने पास मंगा ली हैं। 

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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