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हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा को बयां करती पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे की इस किताब का हुआ विमोचन

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हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा को बयां करती पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे की इस किताब का हुआ विमोचन

साहित्य//Delhi/New Delhi :

जानी-मानी पत्रकार और लेखक मृणाल पांडे की नई किताब ‘The Journey of Hindi Language Journalism in India: From Raj to Swaraj and Beyond’ का विमोचन  दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में किया गया। दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ में हुए विमोचन कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे की इस किताब और हिंदी पत्रकारिता से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई ।

कार्यक्रम में मृणाल पांडे, हिंदी कवि और समालोचक अशोक वाजपेयी, ‘द वायर’ की एडिटर सीमा चिश्ती और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की नेशनल ओपिनियन एडिटर वंदिता मिश्रा ने इस किताब और हिंदी पत्रकारिता को लेकर अपने विचार रखे। सीमा चिश्ती ने कहा कि इस पुस्तक में  मृणाल जी ने हिंदी पत्रकारिता के उद्भव से लेकर, इसके विकास और वर्तमान में इसकी स्थिति समेत तमाम प्रमुख पक्षों को आंकड़ों के साथ सामने रखा है। चिश्ती ने बताया, इस पुस्तक में ऐसा क्या है जो मैं इसे अपनी टेबल पर रखूं तो मृणाल जी ने इसमें काफी बेहतर तरीके से इस भाषा के सफर को सामने रखा है और बताया है कि अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी पत्रकारिता के साथ किस तरह का व्यवहार किया गया। एक प्रमुख मीडिया संस्थान में काम करने के दौरान व जीवन के अन्य क्षेत्रों में अहम पदों पर अपनी भूमिकाएं निभाने के दौरान मृणाल जी ने चीजों को काफी नजदीक से देखा है और पाठकों के लिए अपने अनुभवों और तथ्यों के साथ इस किताब को लिखा है। साथ ही इसमें हिंदी पत्रकारिता के इतिहास के साथ-साथ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी वास्तविक स्थिति के बारे में भी अपनी बात सामने रखी है।

किताब की लेखक और पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने भी अपने विचार रखे। मृणाल पांडे ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का कहना था कि भारत में 12 तरह की हिंदी बोली जाती है। उन्होंने इनके जो नाम दिए हैं, उनमें उर्दू मिश्रित हिंदी, बनारस की हिंदी और अवध की हिंदी आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी के बारे में हमारा जो रिकॉर्डेड इतिहास है, इसमें कई बातें झूठी हैं।

पं. युगल किशोर शुक्ल द्वारा निकाले गए हिंदी के पहले साप्ताहिक अखबार ‘उदंत मार्तंड’ का जिक्र करते हुए मृणाल पांडे का कहना था कि 20वीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों की बात करें तो हिंदी के जितने भी बड़े नाम थे, वे रॉयल हाउसेज द्वारा पब्लिश किए जाते थे। जितने भी राजा-महाराजा होते थे, वे अपनी स्थानीय भाषा अथवा अंग्रेजी में बोलते-लिखते थे। इसके बाद उनके कहने पर हिंदी भाषी योग्य व्यक्ति की तलाश होती थी, जो हिंदी में उनकी बात को रखते थे। इसके बाद हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में हुए विस्तार से जुड़ी तमाम घटनाओं का जिक्र करते हुए मृणाल पांडे ने कहा कि उन्होंने अपनी किताब में इन बदलावों को पूरे तथ्यों और आंकड़ों के साथ रखा है। 

बता दें कि इस किताब को जाने-माने पब्लिशिंग हाउस ‘ओरिएंट ब्लैकस्वान’ ने प्रकाशित किया है। इस किताब में बताया गया है कि हिंदी पत्रकारिता ने राज से स्वराज तक कितना लंबा सफर तय किया है और अभी किस मुकाम पर है। इसके साथ ही इस किताब में मृणाल पांडे ने मीडिया के डिजिटलीकरण, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रभाव और विज्ञापनों पर भारी निर्भरता जैसे प्रमुख बिंदुओं को भी जगह दी है।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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