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100 दिन बाद भी ना रूस रुका ना युक्रेन थका

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100 दिन बाद भी ना रूस रुका ना युक्रेन थका

कूटनीति///Moscow :

100 दिन बाद भी ना रूस रुका ना युक्रेन थका

चंद पलों में दुनिया को राख के ढेर में बदल देने की ताकत रखने वाला रूस अपने पड़ोसी मुल्क युक्रेन पर 100 दिनों के बाद भी पार नहीं पा सका। युक्रेन बरबादी के कगार पर तो है पर उसने अभी तक हिम्मत नहीं हारी है। पश्चिमी देशों के समर्थन के बल वह रूस को कड़ी टक्कर दे रहा है। इस युद्ध के कारण दुनिया भर के देशों के लिए गेहूं के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में जबर्दस्त बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

युक्रेन को समर्थन किंतु पश्चिमी देश भी दबाव में

तीसरी दुनिया के देश तो भारी आर्थिक दबाव में आते जा रहे हैं। सभी रूस-युक्रेन युद्ध समाप्त होने की आस लगाये बैठे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर युद्ध समाप्त कैसे होगा? विशेषज्ञों की मानें तो इस युद्ध की शुरुआत रूस ने की है तो रूस ही इसे खत्म कर सकता है। युक्रेन तो तभी तक लड़ने की हिम्मत दिखा सकता है जब तक कि पश्चिमी देशों से उसे समर्थन मिलता रहेगा। फिलहाल ने युक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मानना है कि युद्ध जितना लंबा चलेगा उतना ही पश्चिमी देशों को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा। एक समय ऐसा भी आएगा कि उन्हें यूक्रेन की जगह अपने आर्थिक संकट और चीन के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान देना होगा।

एकतरफा युद्धविराम की संभावना
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि पुतिन की ओर से एकतरफा युद्धविराम की घोषणा भी की जा सकती है। वे रूस द्वारा कब्जा की गयी जमीन को यूक्रेन से अलग कर अपने जीत की एकतरफा घोषणा भी कर सकते हैं। वे शुरुआत से ही इसे युद्ध की जगह एक मिलिट्री ऑपरेशन कहते आ रहे हैं। वे यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को अलग करके क्रीमिया से लैंड बॉर्डर के जरिए जोड़ सकते हैं। लेकिन, एक प्रश्न यह भी अनुत्तरित रहेगा कि जिस कारण रूस ने युद्ध या मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया क्या उसका निवारण की स्थिति बन गई है, यदि नहीं तो युद्ध आखिर क्यों समाप्त करने की घोषणा की जाएगा।

चैथम हाउस थिंक टैंक में रूसी मामलों के जानकार कीर जाइल्स ने कहा कि, 'रूस अगर एकतरफा सीजफायर करता है तो यह एक चाल होगी। रूस यूक्रेन का क्षेत्र भी ले लेगा और काल्पनिक शांति के बदले उससे सरेंडर भी करा लेगा। और यूरोपीय देश भी चाहेंगे कि सीजफायर हो जाए।' फ्रांस, जर्मनी और इटली में इस बात की चर्चा भी हो रही है कि अब युद्ध को बढ़ाने का कोई कारण नहीं है और दुनिया को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए सीजफायर जरूरी है। हालांकि अमेरिका और यूके इस विचार के साथ नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है कि रूस की हार होगी।

समझौते की संभावना

यूक्रेन और रूस युद्ध में सेना को आमने सामने न करके राजनीतिक तरीके से अगर समझौता करने पर राजी हो जाएं तो भी ये युद्ध रूक सकता है। क्योंकि दोनों देशों की सेनाएं लड़ कर थकी हुई हैं। बड़ी संख्या में सैनिकों की मौत हुई है। आगे की लड़ाई में खून बहाना कोई भी देश सही नहीं ठहरा सकेगा। यूक्रेन के लोग भी इस युद्ध से परेशान हो चुके हैं और वह नहीं चाहते और भी मौते हों। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में कहा था कि हर रोज उनके 100 सैनिक मारे जा रहे हैं। अब 100 दिन बाद भी इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला है। ऐसे में पूरी दुनिया मान रही है कि अब युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है।

 

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