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कुनाल से मिले सबूत : हड़प्पा सभ्यता के लोगों का कारोबार फैला था अफगानिस्तान तक

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कुनाल से मिले सबूत : हड़प्पा सभ्यता के लोगों का कारोबार फैला था अफगानिस्तान तक

अजब-गजब//Haryana/Fatehabad :

कुनाल में हड़प्पा सभ्यता के और सबूत मिले हैं। तीन माह तक खोदाई का काम चलेगा। मिला है कि एक ओर बस्ती बनी थी, दूसरी ओर मनके व अन्य कामों के लिए बड़ी-बड़ी भट्ठियां लगा रखी थी। 

करीब छह हजार साल पहले हरियाणा के फतेहाबाद के गांव कुनाल में पनपी पूर्व हड़प्पाकालीन सभ्यता से संबंधित परतें खुलने वाली हैं। यहां पर पुरातत्व विभाग को इस सभ्यता से संबंधित भट्ठियां मिली हैं। इनमें मनके और मिट्टी के बर्तन बनाने का काम किया जाता था। इन मनकों व अन्य आभूषणों का व्यापार फारस की खाड़ी तक होता था। इनके व्यापार का प्रमुख केंद्र अफगानिस्तान व बलूचिस्तान था।

फतेहाबाद के गांव कुनाल में मिली पूर्व हड़प्पाकालीन सभ्यता की पहचान पूरे विश्व में है। यहां पर बने एक टीले पर जब पुरातात्विक महत्व के सामान मिलने लगे, तो पुरातत्व विभाग की नजर इस टीले पर पड़ी। पहली बार यहां पर पुरातत्व विभाग ने वर्ष 1986 में खुदाई का काम आरंभ किया था। यहां पर पूर्व हड़प्पा काल से संबंधित अनेक औजार व मनके मिले थे। इसके बाद यहां पर वर्ष 1987, 1989, 1990, 2016, 2017, 2018, 2020 व अब 2023 में खोदाई का काम आरंभ हुआ है।
सरस्वती नदी के किनारे बसा था शहर
सरस्वती नदी के किनारे बसा यह शहर 6 हजार साल पुराना है। पुरातत्व विभाग के अनुसार विश्व में जितनी भी पौराणिक सभ्यताएं हैं वह नदियों के किनारे पर ही बसी थी। मेसोपोटामिया सभ्यता से लेकर हड़प्पा सभ्यता के साथ विश्व में चार सभ्यताएं एक साथ उपजी थी। इनमें एक मिस्त्र व एक चीन में शामिल है। फतेहाबाद के कुनाल में हड़प्पा सभ्यता के जो अवशेष मिले हैं, वह उस समय की बेहतर कारीगरी का प्रतीक है। कुनाल में जो बस्ती बसाई गई थी, वहां पर एक ओर बस्ती में गड्ढा खोदकर उसके घर का रूप देकर लोग रहते थे। यहां पर एक और बात सामने आई है कि इस सभ्यता के लोगों ने अपने घरों के साथ बांस लगाकर पोस्ट होल बनाए हुए थे। यहां पर मिले मृद भांडों पर अलग से कारीगरी की गई है। पहले की खुदाई में यहां पर शिकार के लिए तीरों के ब्लेड, बाट, मनकों को बनाने के लिए प्रयोग किए जाने के लिए प्रयोग होने वाले पत्थर भी मिले हैं। साथ ही यहां पर चांदी का मुकुट व सोने के आभूषणों के साथ-साथ सील व टेरोकोटा के अवशेष भी मिले हैं।
फारस देशों तक होता था कारोबार
कुनाल में सरस्वती नदी के होने का यह महत्व था कि यहां के लोगों की फारस देशों में भी व्यापार था। वह मनके आदि बनाने के लिए फारस देशों से कच्चा माल मंगवाते थे और मनके तैयार करके उनको वापस फारस देशों में भेजते थे। इनके व्यापार का प्रमुख केंद्र अफगानिस्तान व बलूचिस्तान था।
शाकाहार के साथ करते थे मांसाहार का सेवन
कुनाल में मिले अवशेषों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इस सभ्यता के लोग मांसाहारी थे। वह बड़े पशुओं को आग में पकाकर खाते थे। साथ ही यहां पर दालों के दाने व फलों के बीज भी मिले हैं, जिससे साफ है कि यह लोग उस समय से ही खेती में दालों व फलों को उगाते थे।
तीन माह तक यहां पर खुदाई का काम 
कुनाल अपने आप में काफी ऐतिहासिक है। पूर्व हड़प्पाकालीन सभ्यता के सबूत मिले हैं। यहां के लोगों के रहन-सहन के बारे में अभी और जानकारी लेनी बाकी है। इसके लिए यहां पर खुदाई का कार्य आरंभ कर दिया गया है। तीन माह तक यहां पर खुदाई का काम होगा।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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