राजनीति//Karnataka/Bengaluru :
सोमवार, 19 दिसंबर से शुरू हो रहे इस सत्र में कर्नाटक राज्य सरकार हलाल मीट पर पाबंदी लगा सकती है।
कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र जबर्दस्त हंगामे वाला होने जा रहा है। सोमवार, 19 दिसंबर से शुरू हो रहे इस सत्र में कर्नाटक राज्य सरकार हलाल मीट पर पाबंदी लगा सकती है। इसके लिए बसवराज बोम्मई सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है जिसे इसी सत्र में सदन में इसे रखा जाएगा। उम्मीद है कि इस हलाल विरोधी विधेयक को पेश करने की सरकार की योजना पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सदन में तनातनी देखने को मिल सकती है।
ध्यान दिला दें कि हलाल मुद्दे ने इस साल मार्च में कर्नाटक में अशांति फैला दी थी। हिंदुत्व समर्थकों ने उगादी उत्सव के दौरान हलाल मांस का बहिष्कार करने का आह्वान किया। भाजपा पदाधिकारियों का एक वर्ग विधेयक पारित कर इसे कानूनी मान्यता देना चाहता है। सबसे पहले भाजपा के एमएलसी एन रविकुमार ने उस विधेयक को लाने की शुरुआत की है जो भारतीय खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा संघ (FSSAI) के अलावा किसी अन्य संस्था के खाद्य प्रमाणन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है। रविकुमार ने इसे एक निजी विधेयक के रूप में पेश करने की योजना बनाई और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को लिखा था। हालांकि, वह अब इसे एक सरकारी विधेयक के रूप में पेश करना चाह रहे हैं क्योंकि पार्टी नेतृत्व कथित तौर पर इसे अपना आधिकारिक कानून बनाना पसंद कर रहा है।
कर्नाटक राज्य सरकार के इस प्रयास से सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के मध्य बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस का पिछले बेलगावी सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी विधेयक को लेकर बीजेपी के साथ आमना-सामना हुआ था और इस बार भी इसी तरह परिदृश्य सदन में दिखने की उम्मीद की जा रही है। परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा, 'हम परिषद के अध्यक्ष से हलाल पर निजी विधेयक को मंजूरी नहीं देने का आग्रह करेंगे।' विधानसभा में भी कांग्रेस बिल का विरोध करने को तैयार है
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