कंगाली ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को बेहद चिंता में डाल रखा है, आईएमएफ से मदद में आ रही है कठिन
कूटनीति///Islamabad :
Pakistan Economy : पाकिस्तान को उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) उसे एक दिन भयानक आर्थिक संकट से बाहर निकाल लेगा। लेकिन ,आईएमएफ की तरफ से जो शर्तें देश के सामने रखी गई हैं, सरकार उन्हें नाकाफी बता रही है। वहीं, देश के विशेषज्ञों की मानें तो आईएमएफ को भी अपना रुख थोड़ा लचीला करना पड़ेगा।
Pakistan Economy : पाकिस्तान को आर्थिक संकट में थोड़ी बहुत उम्मीद अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से थी मगर अब वह भी खत्म हो गई है। संगठन की तरफ से जो शर्तें रखी गई हैं, सरकार और देश के जानकारों की मानें तो संगठन को उन पर अपना रुख थोड़ा लचीला करने की जरूरत है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों ने अपनी उस निराशा को बयां किया जो 1.1 अरब डॉलर की किस्त रुकने से जुड़ी थी। यह किस्त देश के लिए लाइफलाइन साबित हो सकती थी।
खराब ट्रैक रिकॉर्ड बना बड़ी अड़चन
पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड कर्ज की अदायगी में काफी खराब है, ये बात तो सभी को मालूम है। मगर अब कुछ लोग यहां तक कहने लगे हैं कि शायद यह सबकुछ किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हो सकता है। इस साजिश की वजह से आईएमएफ को पाकिस्तान के साथ स्टाफ लेवल एग्रीमेंट करने से रोका जा रहा है। जो प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी, वह अपने आप में काफी असाधारण थी। अधिकारियों ने आईएमएफ पर आरोप लगाया है कि वह लगातार अपनी शर्तों को बदल रही है। जबकि पहले संगठन की तरफ से पूर्व के एक्शन पर रजामंदी जताई गई थी।
दुश्मन देशों की साजिश
कुछ जानकारों की मानें तो आईएमएफ या फिर कुछ दुश्मन देशों को इस स्थिति के लिए दोष दिया जा सकता है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों ने किसी देश का नाम तो नहीं लिया मगर यह भी कहा कि ये ऐसे मुल्क हैं जो पाकिस्तान से दुश्मनी रखते हैं और आज सुपरपावर बन चुके हैं। माना जा रहा है कि यह इशारा भारत की तरफ है।
आईएमएफ को होना होगा लचीला
पाकिस्तान की मीडिया की मानें तो दुश्मन देशों ने भी आईएमएफ का पक्ष ले लिया है। कुछ देश पाकिस्तान को सिर्फ तब तक के लिए ही मदद कर रहे हैं जब तक कि बेलआउट पैकेज नहीं मिल जाता। विश्वसनीयता का नहीं होना पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है। राजनीतिक ड्रामे की वजह से देश पर भरोसा भी कम होता जा रहा है।
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