राजनीति///Islamabad :
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार में शामिल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने आरोप लगाया है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) की नजर मुल्क के एटमी हथियारों और मिसाइलों पर है।
पड़ोसी मुल्क में अभी पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) इस वक्त सत्ता में है। इसमें कुल 13 पार्टियां शामिल हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी इनमें से एक है। इसके सांसद राजा रब्बानी ने गुरुवार को संसद में कहा- हमारे पास कई ऐसी रिपोर्ट्स आईं हैं, जिनमें कहा गया है कि आईएमएफ इसलिए कर्ज की किश्त जारी नहीं कर रहा, क्योंकि उसकी नजर हमारे एटमी हथियारों और मिसाइल प्रोग्राम पर है। फाइनेंस मिनिस्टर को बताना चाहिए कि हकीकत क्या है। हमें इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दी।
आसिफ अली जरदारी की पार्टी के सांसद राजा रब्बानी के इस आरोप का जवाब फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने दिया। कहा- मुल्क को हम पर भरोसा रखना चाहिए। हम अपने एटमी हथियारों और मिसाइल प्रोग्राम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम भी हैरान हैं कि तमाम बातें और शर्तें साफ हो जाने के बावजूद आईएमएफ किश्त जारी क्यों नहीं कर रहा। फिर भी मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि हम एटमी हथियारों और मिसाइल प्रोग्राम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। डार के बयान के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी सोशल मीडिया पर कहा- पाकिस्तान किसी भी सूरत में अपने न्यूक्लियर एसेट्स या मिसाइल प्रोग्राम पर समझौता नहीं करेगा।
पाकिस्तान एटम बम में आगे
अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जिसका रक्षा बजट सबसे ज्यादा है। हालांकि 2022 में भारत ने अपने कुल बजट का 2.4 प्रतिशत पैसा रक्षा बजट पर खर्च किया है, जबकि पाकिस्तान अपने कुल बजट का 3.74 प्रतिशत रक्षा बजट पर खर्च करता है। 18 मई, 1974 को भारत ने पहली बार परमाणु बम का सफल परीक्षण किया था। वहीं, पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को पहली बार परमाणु बम का परीक्षण किया था। इस वक्त पाकिस्तान के पास 165 परमाणु बम हैं, जबकि भारत के पास 160 परमाणु बम ही हैं।
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर क्या है भारत-पाक की नीति?
भारत ने साल 1999 में अपनी ‘नो फर्स्ट यूज’ की परमाणु नीति घोषित की थी। इसके मुताबिक भारत कभी भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में ही अपने परमाणु बमों का सहारा लेगा।
पाकिस्तान के पास नहीं कोई नीति
पाकिस्तान की ऐसी कोई नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के हाई कमान पर निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है। 1999 में पाक विदेश मंत्री ने ‘नो फर्स्ट यूज’ वाली परमाणु पॉलिसी को नकारते हुए कहा था, हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं।
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