स्वास्थ्य //Delhi/New Delhi :
केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी। यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी। नेजल वैक्सीन शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगेगी। इस वैक्सीन को सरकार ने भारत के कोविड 19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी शामिल किया है। इससे पहले भारत के औषधि महानियंत्रक ने भारत बायोटेक की इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।
कोरोना से निपटने के लिए भारत ने एक और मुकाम हासिल कर लिया है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत में बनी पहली इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन लॉन्च कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने भारत बायोटेक की नेजल कोविड वैक्सीन लॉन्च की। केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर, 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी। यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी। नेजल वैक्सीन शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगेगी। इस वैक्सीन को सरकार ने भारत के कोविड 19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी शामिल किया है। इसके लिए सरकार द्वारा फंडिंग की गई है। इससे पहले भारत के औषधि महानियंत्रक ने भारत बायोटेक की इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।
इतनी है कीमत
इनकोवैक वैक्सीन ऐप पर उपलब्ध है और इसकी कीमत निजी बाजारों के लिए 800 रुपये और भारत सरकार व राज्य सरकारों को आपूर्ति के लिए 325 रुपये रखी गई है। ये इंट्रानेजल वैक्सीन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रह सकती है और इसके आसानी से इधर-उधर ले जाया जा सकता है। इसे वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस के साथ साझेदारी में तैयार किया गया है।
कैसे इस्तेमाल होती है नेजल वैक्सीन?
ये वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रै करके दी जाती है, मतलब वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाता। फिलहाल इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए मंजूरी दी गई है। एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया था कि नेजल वैक्सीन बेहतर है, क्योंकि इन्हें लगाना ज्यादा आसान है और ये म्यूकोसा में ही इम्युनिटी बना देता है, जिससे संक्रमण से शुरुआत में ही बचा जा सकता है।
कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन
ये वैक्सीन अभी 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही लगाई जाएगी। 12 से 17 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन चल रहा है, लेकिन वो इसे नहीं लगवा सकते। दूसरी बात ये कि इसे बूस्टर डोज के तौर पर भी लगाया जाएगा। यानी, जो लोग दो डोज लगवा चुके हैं, वे भी इस वैक्सीन को लगवा सकते हैं। हालांकि, इसे प्राइमरी वैक्सीन की मंजूरी भी मिली है। यानी, अगर कोई भी वैक्सीन नहीं ली है तो भी इसे लगवा सकते हैं।
कितनी सेफ है ये वैक्सीन
तीन फेज के ट्रायल में इनकोवैक असरदार साबित हुई है। कंपनी ने फेज-1 के ट्रायल में 175 और दूसरे फेज के ट्रायल में 200 लोगों को शामिल किया था। तीसरे फेज का ट्रायल दो तरह से हुआ था। पहला ट्रायल 3,100 लोगों पर किया गया था, जिन्हें वैक्सीन की दो डोज दी गई थी। वहीं, दूसरा ट्रायल 875 लोगों पर हुआ था और उन्हें ये वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी गई थी। कंपनी का दावा है कि ट्रायल में ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ असरदार साबित हुई है। कंपनी के मुताबिक, इस वैक्सीन से लोगों के अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ जबरदस्त इम्युनिटी बनी है, जिससे संक्रमण होने और फैलने का खतरा काफी कम है।
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