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Happy Karwa Chauth : हिन्दू स्त्रियों के अखण्ड सुहाग की कामना का त्यौहार करवा चौथ..!

Happy Karwa Chauth

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Happy Karwa Chauth : हिन्दू स्त्रियों के अखण्ड सुहाग की कामना का त्यौहार करवा चौथ..!

धर्म/व्रत और त्योहार/Rajasthan/Jaipur :

Happy Karwa Chauth : कार्तिक मास का कृष्णपक्ष चल रहा है और 13 अक्टूबर 2022 को विक्रम संवत् के अनुसार चौथी तारीख है यानी इस दिन की चौथ साधारण चौथ नहीं बल्कि ‘करवा चौथ’ है। करवा चौथ को सभी सुहागन हिन्दू स्त्रियां उत्साहपूर्वक मनाती हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों मनाई जाती है करवा चौथ..? और क्या है इसकी कथा और धार्मिक मान्यतायें..?

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। Karwa Chauth को कर्म चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा का अर्थ होता है मिट्टी से बना हुआ पात्र। इस व्रत में चंद्रमा को अर्ध्य अर्थात जल अर्पण मिट्टी से बड़े पात्र से ही दिया जाता है, इसी कारण इस पूजा में करवा का विशेष महत्व हो जाता है। पूजा के बाद इस करवा को या तो अपने घर में संभाल कर रखा जाता है या किसी ब्राह्मण अथवा स्वयं से उम्र या संबंध में बड़ी योग्य सुहागन महिला को दान में भी देने का विधान है।

Karwa Chauth का व्रत भारत में पंजाब, राजस्थान,  उत्तर प्रदेश,  मध्य प्रदेश में विशेष रूप से धूमधाम के साथ मनाया जाता है परंतु इस वैश्वीकरण के युग में एक-दूसरे को देखकर और दांपत्य प्रेम की चाहत के कारण अन्य प्रांत के लोग भी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाने लगे हैं।

क्यों मनाया जाता है Karwa Chauth : 

इस दिन सुहागिन स्त्रियों द्वारा ही उपवास किये जाने का विधान है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु अर्थात लंबी आयु, दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि और अखंड सुहाग की कामना लिए Karwa Chauth का व्रत रखती हैं। सुहागिनों व्रत में पूरे दिन यानी सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय दर्शन तक बिना जल के अर्थात निर्जला व्रत रहती हैं। साथ में पूजा के उपरांत ही भोजन और जल ग्रहण करती हैं। Karwa Chauth में शाम अथवा रात्रि में चंद्रमा देखने का विधान है। सुहागिन महिलाएं रात में भगवान शिव,  माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ गणेशजी की पूजा करती हैं। उसके बाद चंद्रोदय होने पर आकाश में जब चंद्रमा दिखता है, तो सुहागिनें चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और छलनी से उन्हें देखती हैं और उसी छलनी से अपने पति को देखती है। चंद्र देवता को अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथ से ही पानी पीती हैं और अपना व्रत पूरा करती या खोलती हैं। उसके बाद अपनी पसंद के भोजन करती हैं।

Karwa Chauth 2023 पर जरूर पढ़ें यह कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, तुंगभद्रा नदी के पास देवी करवा अपने पति के साथ रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए थे, तो वहां उन्हें एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खींचने लगा। करवा के पति उन्हें पुकारने लगे। आवाज सुनकर जैसे ही करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि मगरमच्छ उनके पति को मुंह में पकड़कर नदी में ले जा रहा था। यह देखकर तुरंत ही करवा ने एक कच्चा धागा लिया और मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा का सतीत्व इतना मजबूत था कि वो कच्चा धागा मगरमच्छ की ताकत से भी नहीं टूटा।

अब स्थिति ऐसी थी मगरमच्छ कच्चे धागे के सहारे पेड़ से बंधा था और हिल भी नहीं पा रहा था लेकिन करवा के पति छोड़ भी नहीं रहा था। फिर करवा ने यमराज को पुकारा। करवा ने यमराज से प्रार्थना की कि वो उनके पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्युदंड दें लेकिन यमराज ने उन्हें ऐसा करने ले मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी बाकी है तो वो उसे मृत्युदंड नहीं दे सकते हैं लेकिन उनके पति की आयु बिल्कुल भी शेष नहीं है। यह सुनकर करवा बेहद क्रोधित हो गईं। उन्होंने यमराज को शाप देने को कहा। उनके शाप से डरकर यमराज ने तुरंत ही मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया, साथ ही करवा के पति को जीवनदान दे दिया।

यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया था, वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना। करवा माता द्वारा बांधा गया वो कच्चा धागा प्रेम और विश्वास का था।

Karwa Chauth 2023 और मेहंदी

मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। भारत में ऐसी मान्यता है कि जिस लड़की के हाथों की मेहंदी ज्यादा गहरी रचती है, उसे अपने पति तथा ससुराल से अधिक प्रेम मिलता है। लोग ऐसा भी मानते हैं कि गहरी रची मेहंदी आपके पति की लंबी उम्र तथा अच्छा स्वास्थ्य भी दर्शाती है। मेहंदी का व्यवसाय त्योहारों के मौसम में सबसे ज्यादा फलता-फूलता है, खासतौर पर करवा चौथ के दौरान। इस समय लगभग सभी बाजारों में आपको भीड़-भाड़ का माहौल मिलेगा।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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