सेना/थल सेना/Delhi/New Delhi :
दोनों तरफ से अब भी करीब 50-50 हजार सैनिकों की एलएसी पर तैनाती है
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भले ही डिसइंगेजमेंट हो गया है और भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने से पीछे गए हैं लेकिन दोनों तरफ से अब भी करीब 50-50 हजार सैनिकों की एलएसी पर तैनाती है। सर्दियों की तैयारी जहां भारत की तरफ से पूरी हो गई है, वहीं चीन की तरफ भी इसकी तैयारी दिख रही है।
इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक, सितंबर के मुकाबले अब एलएसी के दूसरी तरफ चीनी टेंटों, शेड्स और मिलिट्री वीइकल की संख्या में इजाफा हुआ है। उनका एक हेलिकॉप्टर बेस भी बनकर तैयार है।
लगातार तीसरे साल सर्दियों में तैनाती
एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने का यह मतलब नहीं है कि इस सर्दियों में सब सामान्य है। पिछले दो साल की तरह इस सर्दी में भी एलएसी गरम ही रहेगी। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, डिसइंगेजमेंट का मतलब यह है कि दोनों देशों के सैनिक कुछ पीछे गए हैं, वह एकदम आमने-सामने नहीं हैं। लेकिन सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तैनाती पूरी है और सैनिक पूरी तरह अलर्ट भी हैं।
भारतीय सेना पूरी तरह तैयार
सर्दियों के लिए भारतीय सेना की तैयारी पूरी हो गई है। एलएसी के पास 35 हजार से अधिक सैनिकों के रहने के लिए परमानेंट शेल्टर बन गए हैं जिनमें उनकी जरूरत की सभी सुविधाएं भी हैं। विंटर स्टॉकिंग का काम भी लगभग पूरा हो गया है। 1.5 लाख सैनिकों के लिए करीब 220 दिन के लिए सभी जरूरी चीजें स्टॉक की जा चुकी हैं।
चीन की तरफ दिखे नए टेंट
इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों ने बताया है कि चीन की तरफ भी नए टेंट बने हैं। ईस्टर्न लद्दाख के दूसरी तरफ मंझा में चीनी सेना के कैंप से करीब 10 किलोमीटर दूर करीब 48 नए टेंट देखे गए हैं। सितंबर के पहले हफ्ते के बाद शिक्वान्हे में भी नए टेंट दिखे हैं। इस इलाके में करीब 1,600 टेंट लगे हुए हैं। पहले यहां टेंटों की संख्या करीब 1,300 थी। एलएसी के दूसरी तरफ चियकांग में भी सितंबर के पहले हफ्ते के बाद करीब 50 नए मिलिट्री वीइकल और तीन नए शेड्स देखे गए हैं। शानदोंग में अगस्त के बाद करीब 20 नए बड़े शेड्स बने हैं।
सारी जरूरी व्यवस्था दुरुस्त
अक्साई चीन से गुजरने वाले हाइवे के दाहोंगलिटन में भी करीब 60 नए वाहन दिखे, यह एरिया एलएसी से करीब 210 किलोमीटर दूर है। अक्शू एरिया में भी सितंबर के दूसरे हफ्ते के मुकाबले टेंट और वाहनों की संख्या बढ़ी है। ईस्टर्न लद्दाख के दूसरी तरफ एलएसी से करीब 140 किलोमीटर दूर चीन का दोमार हेलिबेस भी पूरा हो गया है। हालांकि यह अभी ऑपरेशनल नहीं है। साथ ही, तीन मल्टी रॉकेट लॉन्चर वाहनों की लोकेशन बदली गई है।
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