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माँ शीतला हैं प्रकृति उपचार शक्ति.. जानिये शीतला अष्टमी 2023: तिथि, समय, महत्व ,कथा व पूजन के बारे में

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माँ शीतला हैं प्रकृति उपचार शक्ति.. जानिये शीतला अष्टमी 2023: तिथि, समय, महत्व ,कथा व पूजन के बारे में

धर्म/कर्मकांड-पूजा/Rajasthan/Jaipur :

देवी शीतला को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। शीतला अष्टमी के अवसर पर, भारत के उत्तर भारतीय राज्यों में रहने वाली हिंदू महिलाओं के बीच माता शीतला की पूजा की जाती है। इस त्योहार को बासौड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू त्योहार होली के आठवें दिन मनाया जाता है। बहरहाल, कई लोग इसे रंगों के त्योहार के पहले सोमवार या शुक्रवार को मनाते हैं।

 शीतला अष्टमी (2023) का दिन व समय 

कृष्ण पक्ष अष्टमी (शीतला अष्टमी)
बुधवार, 15 मार्च 2023
अष्टमी प्रारंभ तिथि : 14 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 22 मिनट पर
अष्टमी समाप्ति तिथि : 15 मार्च 2023 को शाम 6:46 बजे

शीतला माँ : प्रकृति उपचार शक्ति 
देवी शीतला को प्रकृति की उपचार शक्ति माना जाता है और उन्हें देवी दुर्गा और माता पार्वती का अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्म में हर माह की अष्टमी का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा व व्रत किया जाता है। हर हिन्दू मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस व्रत का देवी दुर्गा का मासिक व्रत भी कहा जाता है। हिन्दू कैलेण्डर में अष्टमी दो बार आती है, एक कृष्ण पक्ष में दूसरी शुक्ल पक्ष में। शुक्ल पक्ष की अष्टमी में देवी दुर्गा का व्रत किया जाता है।

बासोड़ा / बासी या ठंडा भोजन 
ज्यादातर परिवार शीतला अष्टमी के दिन एक दिन पहले खाना बनाते हैं और बासी खाना खाते हैं। माना जाता है कि देवी शीतला चेचक, खसरा और अन्य बीमारियों को नियंत्रित करती हैं और लोग इन बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए उनकी पूजा करते हैं। इस दिन कोई भी ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है। शीतला शब्द का अर्थ शीतलता होता है। नतीजतन, इस घटना को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में पोलाला अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है।

शीतला अष्टमी की कथा

इस संबंध में पौराणिक कथा के अनुसार- एक बार की बात है, प्रताप नगर में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे और पूजा के दौरान गांव वालों ने गरिष्ठ का प्रसाद माता शीतला को प्रसाद रूप में चढ़ाया। गरिष्ठ प्रसाद से माता शीतला का मुंह जल गया। इससे माता शीतला नाराज हो गई। माता शीतला क्रोधित हो गई और अपने कोप से संपूर्ण गांव में आग लगा दी, जिससे पूरा गांव जलकर रख हो गया परंतु एक बुढ़िया का घर बचा हुआ था।

गांव वालों ने जाकर उस बुढ़िया से घर नहीं जलने का कारण पूछा, तब बुढ़िया ने माता शीतला को प्रसाद खिलाने की बात कही और कहा कि मैंने रात को ही प्रसाद बनाकर माता को ठंडा एवं बासी प्रसाद माता को खिलाया। जिससे माता शीतला ने प्रसन्न होकर मेरे घर को जलने से बचा लिया। बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने माता शीतला से क्षमा याचना की तथा आनेवाले सप्तमी, अष्टमी तिथि पर उन्हें बासी प्रसाद खिलाकर माता शीतला का बसौड़ा पूजन किया था। तभी से माता शीतला को ठंडा या बासी भोजन चढ़ाने की चलन जारी है।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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