बिजनेस///Washington :
संकटग्रस्त सिलिकॉन वैली बैंक में लाखों डॉलर फंसाए बैठे कुछ भारतीय स्टार्टअप अमेरिका में कारोबार शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। अब वे बड़े पैमाने पर इस बैंक से अपना सारा पैसा निकाल सकेंगे।
डूब रही सिलिकाॅन वैली बैंक में अमेरिका ही नही, भारतीयों का भी करोड़ों रुपया फंसा हुआ है। इनमें अधिकांश कंपनियां स्टार्टअप्स हैं। ये भी इस बैंक से अपना पैसा निकालने की तैयारी में हैं लेकिन इनके संस्थापकों का कहना है कि केवल एक चीज जो इसे रोक सकती है और वो यह है कि अगर अमेरिकी सरकार संकटग्रस्त बैंक के लिए खरीदार खोजने में कामयाब रहे।
अमेरिकी सरकार की ओर से रविवार रात की गई कवायद के कारण सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) में खाता रखने वाले कारोबारियों की अपनी जमा राशि तक पूरी पहुंच होगी, जबकि पिछले उपाय में केवल 2,50,000 डॉलर की बीमा राशि ही तत्काल उपलब्ध होती थी। दिसंबर 2022 तक, एसवीबी की कुल संपत्ति में 209 बिलियन डाॅलर और कुल जमा में लगभग 175 बिलियन डाॅलर थे।
ब्रिटेन के संचालन के लिए खरीदार
बैंक ऑफ इंग्लैंड और ब्रिटिश सरकार ने सोमवार सुबह घोषणा की कि अमेरिकी सरकार बैंक के लिए खरीदार खोजने के लिए संघर्ष कर रही है, एसवीबी की यूके शाखा को एचएसबीसी को बेच दिया गया है। यूएस फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एफडीआईसी) की पूर्व चेयरपर्सन शीला बैर ने अमेरिकी प्रेस को बताया कि एसवीबी के लिए खरीदार ढूंढना ‘सबसे अच्छा परिणाम’ था।
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि बैंक को सरकारी राहत पैकेज देने का सवाल ही नहीं उठता और नियामक एसवीबी के लिए अधिग्रहण सहित कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। जबकि अमेरिकी सरकार ने घोषणा की है कि वह एक बैकस्टॉप उपाय करेगी ताकि जमाकर्ता बैंक में अपने सभी धन तक पहुंच सकें।
अमेरिका स्थित एक स्टार्टअप के संस्थापक ने कहा कि अगर अमेरिकी सरकार एसवीबी का अधिग्रहण करने वाली इकाई खोजने में असमर्थ है तो वह विड्राॅल पर विचार करेगा। उसने कहा, ‘100 प्रतिशत निश्चित नहीं है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बयान के बाद से अभी सबसे अच्छी कार्रवाई क्या है लेकिन परिचालन के लिए कोई स्पष्ट खरीदार नहीं है। यदि कोई खरीदार नहीं है, तो हम बस सब कुछ स्थानांतरित कर देंगे ... हम आज शाम बाद में फैसला करेंगे।’
Comments