क्राइम //Jammu and Kashmir/Srinagar :
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग आतंकी हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंट फ्रंट नामक संगठन ने ली है। ये आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का ही दूसरा चेहरा है।
कश्मीर घाटी यानी नॉर्थ ऑफ पीर पंजाल में सुरक्षा एजेंसियों के जबरदस्त दबाव की वजह से आतंकियों ने पिछले काफी वक्त से साउथ ऑफ पीर पंजाल का रुख किया है। पुंछ, रजौरी का इलाका साउथ ऑफ पीर पंजाल में आता है। लेकिन अनंतनाग में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सेना के दो अधिकारियों की शहादत और लगातार चल रही मुठभेड़ से साफ है कि आंतकियों का साउथ कश्मीर और नॉर्थ ऑफ पीर पंजाल में पूरा सफाया नहीं हुआ है। यहां अभी भी उन्हें स्थानीय लोगों से मदद मिल रही है और वह किसी भी तरह से जम्मू-कश्मीर में आतंक की जड़ों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठन यह काम अपने शेडो संगठनों के जरिए कर रहे हैं। अनंतनाग के कोकरनाग में सेना पर हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंट फ्रंट ने ली है जो लश्कर का ही दूसरा चेहरा है।
कोकरनाग में जारी है ऑपरेशन
कोकरनाग में मंगलवार शाम को आतंकियों के खिलाफ शुरू हुआ ऑपरेशन जारी है। सुरक्षा एजेंसियों ने यहां आतंकियों को घेरा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे इलाके को घेरा है और ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। यह इलाका घने जंगलों वाला है और आतंकी चोटी पर हैं। सूत्रों के मुताबिक आंतकियों की मौजदूगी की जानकारी मिलने पर सुरक्षा बलों ने उनके खिलाफ ऑपरेशन लॉन्च किया। आतंकियों के लिए सुरक्षा बलों पर यह हमला करना आसान था क्योंकि वह चोटी पर ऐसी जगह पर हैं, जहां से वह नीचे से ऊपर की तरफ आते सैनिकों को देख सकते हैं।
तीन जवानों ने न्योछावर किए प्राण
कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं मुजामिल भट जब सैनिकों को लीड करते हुए आगे बढ़ रहे थे तब आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। उन्हें हेलिकॉप्टर से इवेक्युएट करने की कोशिश की गई लेकिन लगातार गोलीबारी के बीच हेलिकॉप्टर लैंड नहीं हो सका।
आतंकी संगठन लश्कर की चाल
सुरक्षा एजेंसी सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान लगातार आतंकी संगठनों को मदद कर रहा है और लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों के शेडो संगठनों को लश्कर और जैश के आतंकी पाकिस्तान से बैठकर ऑपरेट कर रहे हैं। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान फिर से खुलकर आतंकियों को सपोर्ट करने लगा है। ऐसा नहीं था कि पाकिस्तान ने पहले आतंकियों को सपोर्ट करना बंद किया था लेकिन तब वह यह दिखाने की कोशिश करता था।
द रजिस्टेंट फ्रंट क्या है?
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) साल 2020 में कोविड-19 के बीच सामने आया था। यह लश्कर ए तोएबा का ही शेडो संगठन है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि लश्कर के लोग ही इसे कराची में बैठकर ऑपरेट करते हैं और घाटी में मौजूद आतंकियों के जरिए इस नए संगठन को चलाने की कोशिश करते हैं।
जैश भी कश्मीर में आतंक फैला रहा
इसी तरह टीआरएफ जैश का शेडो संगठन है, जो कि 2019 में अस्तित्व में आया। भारत सरकार ने इसी साल 4 संगठनों को आतंकी संगठन करार दिया था। गृह मंत्रालय ने संसद में बताया था कि द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ, पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स और खालिस्तान टाइगर फोर्स शामिल आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल है।
क्या ज्यादा ट्रेंड हो गए हैं आतंकी
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सेना के दो अधिकारियों के शहीद होने के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या आतंकी अब ज्यादा ट्रेंड हो गए हैं। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक आंतकियों को दरअसल जगह, वक्त, सरप्राइज और टेरेन का फायदा मिलता है। ये चीजें सुरक्षा बलों के लिए चुनौती हैं और इसका फायदा आतंकी उठाते हैं। सुरक्षा बल हमेशा मुस्तैद रहते हैं लेकिन आतंकी अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने हिसाब से वक्त और जगह चुनता है तो पहला सरप्राइज फैक्टर तो उसके पक्ष में होता ही है। आतंकी छुपने के लिए ऐसी जगह चुनता है जहां टेरेन का उसे फायदा मिल सके। इन सब चुनौतियों के बावजूद सुरक्षा बल लगातार आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाते हैं और सफल भी होते हैं।
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