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बछड़ा नहीं बेटा..! श्मशान तक निभाया मालिक का साथ, परिक्रमा के बाद शव को चूमा

बछड़ा नहीं बेटा..! श्मशान तक निभाया मालिक का साथ, परिक्रमा के बाद शव को चूमा

//Jharkhand/Ranchi :

मानवीय भावनाओं को मानव के अतिरिक्त यदि अन्य कोई प्राणी सर्वाधिक समझता है तो वह गाय ही है। यही वजह है कि हिंदू समाज में गाय को भोज्य सामग्री नहीं बल्कि पूज्य माना गया है। मानवीय संवेदना को समझने जैसा ही एक वाकया झारखण्ड के हजारीबाग में देखने को मिला। हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड अंतर्गत चैथी गांव में देख कर लोग हैरान रह गये। दरअसल नि:संतान मालिक की मौत होने पर दूसरे गांव से बछड़ा श्मशान घाट पर पहुंच गया, उसकी आंखों में आंसू थे।
मेवालाल के नहीं थी कोई संतान
दरअसल चौपारण प्रखंड के चैथी गांव निवासी 80 वर्षीय मेवालाल ठाकुर की मौत हो गयी। शनिवार को अंत्येष्टि के लिए जब उनका पार्थिव शरीर गांव के श्मशान घाट पहुंचा, तो मालिक की मौत पर एक बछड़ा भी श्मशान घाट पहुंच कर ना केवल खूब रोया  बल्कि चिता पर रखे शव की ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों के साथ परिक्रमा भी की।
तंगी के कारण बेच दिया था
स्थानीय लोगों ने बताया कि 80 वर्षीय मेवालाल ठाकुर के पास एक गाय थी। गाय ने कुछ महीने पहले ही एक बछड़े को जन्म दिया था। मेवालाल अपने गाय और बछड़े की खूब सेवा करते थे लेकिन 3 महीने पहले ही उसे दूसरे गांव के एक किसान को बेच दिया।
शव को देख बछड़े के बहे आंसू
इस बीच शनिवार को जब मेवालाल ठाकुर की मौत हो गयी, तो वह बछड़ा भी अचानक गांव आ पहुंचा। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। शव यात्रा में बछड़े को देखकर कुछ लोगों ने उसे भगाने की भी कोशिश की लेकिन बुजुर्गों के कहने पर लोगों ने उसे पीछे चलने के लिए छोड़ दिया।
शव को चूमा, चिता की परिक्रमा
जब श्मशान घाट में शव को नीचे रखा गया, तो बछड़ा वहां दौड़ कर पहुंचा और मेवालाल को चूमने लगा। वहीं जोर-जोर से विलाप भी करने लगा। उसने जलती चिता की अन्य ग्रामीणों और परिजनों के साथ परिक्रमा भी किया।

 

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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