Magh Purnima
फोटो सोशल मीडिया से साभार
पंचांग/व्रत-त्योहार//Rajasthan/Jaipur :
Magh Purnima : कल रविवार, 5 फरवरी को माघ पूर्णिमा थी और आज यानी सोमवार, 6 फरवरी 2023 को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से फाल्गुन की शुरुआत हो गयी है। आज से ठीक एक महीने के बाद भारत का प्रमुख त्योहार होली मनाया जाएगा। आज ही के दिन से सीकर स्थित बाबा खाटू श्यामजी के मंदिर के पट भी खोले जा रहे हैं। फाल्गुन में खाटू श्यामजी के दर्शन करने को श्रद्धालु बहुत महत्व देते रहे हैं। रविवार, को माघ महीने की पूर्णिमा पर होलिका दहन के उद्देश्य से डंडा या राजस्थान में स्थानीय भाषा के अनुसार डांडा रोपने की परंपरा का निर्वहन किया गया।
Magh Purnima :
देश में अनेक स्थान हैं, जहां इस परंपरा को पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है। जयपुर और उदयपुर में मनायी जाने वाली होली दुनिया में प्रसिद्ध रही है। देश और विदेश से अनेक पर्यटक इस होली को देखने के लिए पहुंचते रहे हैं। उदयपुर और जयपुर में भी पूरे अनेक स्थानों पर पूरे विधि विधान व मंत्रोच्चार के साथ अनेक स्थानों पर होली का डांडा रोपा गया। उदयपुर में डाडाा रोपने का पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जयपुर में मुख्य समारोह राजपरिवार के सिटी पैलेस में हुआ। जयपुर के सिटी पैलेस में पुरोहित दिलीप चतुर्वेदी ने मंत्रोच्चार के साथ होली का डांडा रोपा। इस मौके पर राजपरिवार के सदस्य व ठिकानों के ठिकानेदार भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि प्राचीन परम्परा के अनुसार डांडा रोंपने के अवसर पर , डांडे को भक्त प्रह्लाद का प्रतीक मानकर उसका पूजन किया जाता रहा है। जयपुर में तो डांडे को पतंगों व गुलाल से सजाया जाता है। उसके बाद भोग लगाया जाता है। सिटी पैलेस में कल हुए इस कार्यक्रम के मौके पर पैलेस के क्रमचारियों ने होली के गीत गाकर माहौल को रंगारंग कर दिया। डांडा रोपण के साथ ही जयपुर सहित पूरे राज्य में धमार गायन यानी होली के गीत गाये जाने लगेंगे। वहीं, परकोटे सहित ग्रामीण इलाकों में हर जगह लोगों की टोलियां चंग की थाप पर मस्ती से झूमते नजर आएंगे।
जयपुर के अलावा अन्य बहुत से क्षेत्रों में बसंत पंचमी के साथ ही होली गायन के अभ्यास की शुरुआत हो गयी है। जो बसंत पंचमी के दिन होली गायन की शुरुआत नहीं कर सके, उन्होंने कल से इसकी शुरुआत कर दी। बता दें कि जिस स्थान पर डंडा रोंप दिया जाता है, वहीं पर परम्परा के अनुसार होलिका दहन भी किया जाता है। होलिका दहन से पूर्व भक्त प्रहलाद का प्रतीक स्वरूप डांडा या डंडा को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
Anand Swaroop Agnihotri, Feb-11-2023
Nice post