आर्थिक//Delhi/New Delhi :
दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे भारत में बन रहा है। करीब 1380 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे देश की राजधानी नई दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ेगा। यह छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगा। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेस-वे मार्च 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा। पिछले महीने सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि इसका 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
इससे दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा हो सकेगा। अभी इन दोनों शहरों के बीच यात्रा में 24 घंटे लगते हैं। यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे हैं, जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी। फिलहाल यह एक्सप्रेस-वे आठ लेन का है। लेकिन, आने वाले दिनों में इसे 12 लेन का किया जा सकता है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाडिय़ां फर्राटा भरेंगी। साथ ही, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का भी विकास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेस-वे सही मायनों में देश की प्रगति का एक्सप्रेस-वे साबित होगा।
इन शहरों की बढ़ेगी कनेक्टिविटी
एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौडग़ढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
एक्सप्रेस वे की विशेषताएं और नई योजनाएं
एक्सप्रेस-वे पर हैलिपैड भी बनाने की योजना है
दोनों और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की भी योजना है
एशिया का पहला ऐसा हाईवे हैं जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा है
हाईवे के बीच में 21 मीटर चौड़ी जगह छोड़ी जा रही है।
इलेक्ट्रिक हाइवे में कन्वर्ट करने की है योजना है
एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है।
इस निर्माण करीब 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा।
निर्माण पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
फिलहाल यह एक्सप्रेसवे आठ लेन का है लेकिन आने वाले दिनों में इसे 12 लेन का किया जाएगा।
यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है। इसका मतलब है कि हाईवे के बीच में एक तरफ से दूसरी तरफ कोई भी आ जा नहीं सकेगा।
एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी।
कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है।
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