राजनीति///Islamabad :
पाकिस्तान इन दिनों इजराइल को हथियार सप्लाई कर रहा है। आर्टिलरी गन के 155 एमएम के गोले की बड़ी खेप कथित रूप से इजराइल को भेजी गई है। बहरीन, ओमान के रास्ते हथियारों की सप्लाई की जा रही है। इससे पाकिस्तान की मुस्लिम ब्रदरहुड को लेकर आलोचना होनी तय है, जो फिलिस्तीन का बड़ा हिमायती बना फिरता है।
इजराइल हमास युद्ध में पाकिस्तान अपने मुस्लिम ब्रदरहुड को दरकिनार कर कथित रूप से एक यहूदी देश की मदद कर रहा है। दावे किए जा रहे हैं कि पाकिस्तान ने इजराइल को आर्टिलरी गन के 155 एमएम के गोले मुहैया कराए हैं। इसकी मदद से इजराइली सेना गाजा में फिलिस्तीनियों के घरों को तबाह कर रही है। इस आर्टिलरी गन का इस्तेमाल जमीनी स्तर पर किया जाता है, जो किसी भी युद्ध में एक खास हथियार माना जाता है।
इजराइल को पाकिस्तान के हथियार सप्लाई का खुलासा फ्लाइट डेटा ट्रैकर के जरिए हुआ है। यह नई बात नहीं है कि पाकिस्तान युद्ध के बीच किसी को हथियार दे रहा है। उसने यूक्रेन को भी करोड़ों डॉलर के हथियार सप्लाई किए हैं। हालांकि, पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उसने यूक्रेन के साथ 364 मिलियन डॉलर के हथियार डील किए हैं। यह डील दो अमेरिकी कंपनियों के साथ 2022 में हुई थी, जिसका खुलासा अब हुआ।
बहरीन, ओमान, साइप्रस के रास्ते हथियारों की सप्लाई
ताजा युद्ध में पाकिस्तान ने बहरीन, ओमान, साइप्रस के रास्ते इजराइल को हथियार भेजे हैं। हालांकि, इन दावों पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। फ्लाइट-ट्रैकर डेटा के मुताबिक, एक ब्रिटिश वायु सेना के विमान ने बहरीन से पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान बेस के लिए उड़ान भरी और फिर ओमान से साइप्रस में एक सहयोगी बेस पर पहुंचा। साइप्रस में ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स के अक्रोटिरी बेस को हमास के साथ इजराइली युद्ध के बीच कथित रूप से एक इंटरनेशनल मिलिट्री बेस के रूप में स्थापित किया गया है। इजराइली मीडिया ने भी इस बेस को लेकर रिपोर्ट किए हैं।
ब्रिटिश एयरबेस से इजराइल भेजा जा रहा हथियार
मसलन, हारेत्ज नाम के एक संस्थान ने इसी आरएएफ अक्रोटरी बेस को लेकर अपनी रिपोर्ट में 40 अमेरिकी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 20 ब्रिटिश ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और सात भारी सप्लाई वाले हेलिकॉप्टर के इजराइल के लिए उड़ान भरने की बात बताई थी। संस्थान ने यही भी बताया कि इजराइल के दक्षिण में स्थित नेवाति एयर फोर्स बेस पर अमेरिकी सेना ने हथियार की डिलिवरी दी है। इनके अलावा तेल अवीव में बेन गुरियन एयरपोर्ट पर भी अमेरिकी सैन्य एयरक्राफ्ट ने भारी हथियार के साथ लैंडिंग की।
पाकिस्तान इजराइल पर लुटा रहा प्यार!
पाकिस्तान ऐसे तो इजराइल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं देता और फिलिस्तीन का बड़ा हिमायती माना जाता है। युद्ध के बीच वो फिलिस्तीन की मदद के लिए लगातार दुनिया से अपील कर रहा है। गाजा में इजराइली बमबारी का कड़ा आलोचक रहा है। इस्लामिक देशों के ग्रुप ओआईसी में भी उसने इजराइल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की। पाकिस्तान उन देशों में शामिल रहा है जिसने फिलिस्तीन के विभाजन का यूनाइटेड नेशन में विरोध किया था। इजराइल में कोई भी पाकिस्तान पासपोर्ट के साथ भी एंट्री नहीं ले सकता। बावजूद इसके पड़ोसी मुल्क इजराइल पर मानो अपना प्यार लुटा रहा है।
फिलिस्तीनियों का ब्लैक सितंबर
पाकिस्तान उन्हीं इस्लामिक देशों में एक है, जिसने फिलिस्तीनियों पर कहर बरपाया है। दरअसल, 1967 के इजराइल अरब युद्ध के बाद लाखों की संख्या में फिलिस्तीनियों का घिर छिन गया था। वे ठिकाने की तलाश में जॉर्डन जा पहुंचे। जॉर्डन के किंग हुसैन ने तब पाकिस्तान से मदद मांगी थी। 1970 में पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने जनरल जिया-उल-हक की अगुवाई में सेना की एक टीम जॉर्डन भेजी, जहां सितंबर महीने में हजारों की संख्या में फिलिस्तीनी मारे गए। फिलिस्तीन अथॉरिटी के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात ने तो इस मिलिट्री ऑपरेशन में 25000 फिलिस्तीनियों के मारे जाने का दावा किया था। फिलिस्तीनी आज भी इसे ब्लैक सितंबर के नाम से जानते हैं।
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