राजनीति///Islamabad :
पाकिस्तान सरकार की इस हरकत से वहां की जनता भी नाखुश है। वह अपनी सरकार को चोर बताते हुए कह रही है कि ये हमें रोटी नहीं दे सकते, और कष्मीर की बात करते हैं।
तुर्की में भूकंप के लिए राहत सामग्री भेजने के बाद पाकिस्तान ने अपनी ही फजीहत करवा ली। भीषण भूकंप से भारी तबाही झेल रहे तुर्की के लिए पाकिस्तान की ये हरकत जले पर नमक छिड़कने से कम नहीं। पाकिस्तान ने मदद के नाम पर तुर्की को वही पुराना सामान वापस भेज दिया जो कुछ समय पर भयंकर बाढ़ के समय पाकिस्तान के लोगों की मदद के लिए तुर्की ने भेजा था। एक वरिष्ठ पत्रकार ने यह दावा किया है।
पाकिस्तान सरकार की इस हरकत से वहां की जनता भी नाखुश है। जनता का कहना है कि पाकिस्तान ने तुर्की के साथ विश्वासघात किया है। साथ ही, उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की भी तारीफ की है। एक शख्स ने इसे लेकर कहा है, “चोरों की हुकूमत मदद के लिए जो राशन ले गई वो भी चोरी का। ये हमारे लिए बहुत शर्म की बात है। अब पाकिस्तान पर तुर्की कभी भरोसा नहीं करेगा। मोदी अपने देश को ऊपर लेकर जाना चाहते हैं।”
“भूख के कारण बच्चों को मार रहे लोग”
एक और शख्स ने कहा है, ‘हम तो शहबाज शरीफ को अपना पीएम मानते ही नहीं. अगर सामान नहीं है तो कह दो नहीं है। शहबाज शरीफ को फोटो सेशन का बहुत शौक है। इंडिया की हम बात नहीं कर सकते वो हम से बहुत आगे चले गए हैं।’ पाकिस्तान की इस हरकत पर एक शख्स का कहना है, ‘तुर्की की बात छोड़िये ये अपनी अवाम को कुछ नहीं दे पा रहे हैं। यहां भूख के कारण लोग अपने बच्चों को मार रहे हैं। एंटी मुस्लिम और एंटी पाकिस्तान हमारे खुद के नेता हैं। हम पाकिस्तानियों को कुछ नहीं दे सकते, कश्मीर की क्या बात करेंगे।’
“भारत से हम नहीं कर सकते कोई मुकाबला”
वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर भी वहां के लोगों में काफी गुस्सा है। पाकिस्तान में वार्षिक मुद्रास्फीति दर इस सप्ताह बढ़कर रिकॉर्ड 38.42 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं इससे देश में हाहाकार मचा हुआ है। पाकिस्तान की जनता बोली कह रही है ‘न रोटी न बोटी किस्मत खोटी।’ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में वही रहेगा, जिसके पास ऑप्शन नहीं है या पैसा नहीं है. पीएम मोदी को एक चद्दर भी मिलती है तो वो तोशाखाना में देते हैं क्योंकि वो उनकी जनता का है। भारत से हम किसी भी मैदान में मुकाबला नहीं कर सकते।
मुद्रास्फीति में यह वृद्धि पाकिस्तान सरकार के नए कर लगाने और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के कारण हुई है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से 1.1 अरब डॉलर की मदद मिलने की शर्त के तौर पर यह कदम उठाया है।
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