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पेंटागन मांगेगा पानी... भारत में बनी दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग

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पेंटागन मांगेगा पानी... भारत में बनी दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग

बिजनेस//Gujarat/Surat :

दुनिया की सबसे बड़ी आॅफिस इमारत भारत के सूरत में बनकर तैयार है। इसमें हीरा व्यापार केंद्र होगा। इस इमारत का आधिकारिक उद्घाटन इस साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। इसके निर्माण को पूरा होने में चार साल लगे। 

दुनिया में सबसे बड़ी आॅफिस बिल्डिंग का खिताब अमेरिका के रक्षा विभाग का मुख्यालय भवन पेंटागन के नाम रहा। लेकिन यह उपलब्धि गुजरात के सूरत स्थित एक इमारत ने ले ली है, जिसमें हीरा व्यापार केंद्र होगा। इमारत का निर्माण पूरा होने में चार साल लगे। इस इमारत का आधिकारिक उद्घाटन इस साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। सूरत को दुनिया की रत्न राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहां दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे तराशे जाते हैं।

एक सेंट्रल स्पाइन से जुड़ी नौ आयताकार बिल्डिंग्स
ऐसा बताया जा रहा है कि इस इमारत में 65,000 से अधिक हीरा प्रोफेशनल्स काम कर सकेंगे, जिसमें पॉलिशर्स, कटर्स और व्यापारी आदि शामिल होंगे। इसे वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में बनाया गया है। इस इमारत को सूरत डायमंड बोर्स नाम दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 15 मंजिला इमारत 35 एकड़ भूमि में फैली हुई है और इसमें नौ आयताकार बिल्डिंग्स है, जो सभी एक सेंट्रल स्पाइन से जुड़ी हुई हैं। विशाल परिसर का निर्माण करने वाली कंपनी के अनुसार, इसमें 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक फ्लोर स्पेस शामिल है।
हजारों लोगों को मिलेगी व्यापार की सुविधा
एसडीबी वेबसाइट के अनुसार, इस आॅफिस कॉम्प्लेक्स में एक मनोरंजन क्षेत्र और पार्किंग क्षेत्र है, जो 20 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। दरअसल, एसडीबी डायमंड बोर्स द्वारा प्रचारित एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत कंपनी है। सूरत, गुजरात में डायमंड बोर्स की स्थापना और प्रचार के लिए बनाई गई है। परियोजना के सीईओ महेश गढ़वी ने कहा कि नया भवन परिसर हजारों लोगों को व्यवसाय करने के लिए शानदार अवसर देगा।
बनने से पहले ही हीरा कंपनियों खरीद लिए थे अपने-अपने ऑफिस
इस इमारत को एक अंतरराष्ट्रीय डिजाइन प्रतियोगिता के बाद भारतीय वास्तुकला फर्म मॉर्फोजेनेसिस द्वारा डिजाइन किया गया है। गढ़वी ने बताया, ‘पेंटागन को पछाड़ना प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं था। बल्कि, परियोजना का आकार मांग से तय होता था। उन्होंने कहा कि सभी ऑफिस निर्माण से पहले हीरा कंपनियों द्वारा खरीदे गए थे।’

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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