कूटनीति///Moscow :
कयास लगाए जा रहे हैं कि रूस की मंशा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बेलारूस को सीधे तौर पर शामिल करने की है।
रूस, यूक्रेन जंग के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अचानक सोमवार को बेलारूस पहुंच गए और वे अकेले नहीं थे। इस दौरान पुतिन के रक्षा और विदेश मंत्री भी उनके साथ थे। पुतिन के एकाएक बेलारूस दौरे से सभी भौचक्के हैं और उनके इस दौरे के पीछे की मंशा को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
पुतिन ने यहां बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको से मुलाकात की। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि रूस की मंशा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बेलारूस को सीधे तौर पर शामिल करने की है। पुतिन 2019 के बाद पहली बार बेलारूस पहुंचे हैं और उन्होंने वहां राष्ट्रपति लुकाशेंको से मुलाकात की है। पुतिन ऐसे समय में बेलारूस के साथ संबंधों को और गहराना चाहते हैं, जब उनकी सेना यूक्रेन के साथ युद्ध में कई मोर्चों पर मुंह की खा रही है।
बेलारूस को रूस में मिलाने की अटकलें
रूस को सालों से कई मोर्चों पर बेलारूस का साथ मिलता रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि बेलारूस सस्ते तेल और कर्ज के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर है। लेकिन. यूक्रेन युद्ध में रूस का परोक्ष रूप से सहयोगी होने के बावजूद लुकाशेंको रूस में बेलारूस के विलय के पक्षधर नहीं हैं। हालांकि, पुतिन के बेलारूस दौरे से यह अटकलें लगनी शुरू हो गई कि पुतिन का यह दौरा दरअसल लुकाशेंको पर दबाव डालने के लिए है कि वह रूस के साथ बेलारूस की फौजों को यूक्रेन मोर्चे पर भेजें।
बेलारूस को रूस में मिलाने से क्या फायदा?
ऐसा माना जा रहा है कि बेलारूस के पास सोवियत युग के हथियारों का अथाह भंडार है, जो रूस के लिए यूक्रेन युद्ध में काम आ सकते हैं। इससे रूस की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को भी मदद मिल सकती है। पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा है कि बेलारूस, रूस का सहयोगी नंबर एक है लेकिन यह कहना कि रूस, बेलारूस पर इस विशेष सैन्य अभियान में शामिल होने का दबाव बनाना चाहता है, पूरी तरह से बेवकूफाना और मनगढंत हैं।
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