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आरएसएस का अगले एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचने और कार्य शुरू करने का लक्ष्य..!

पत्रकार वार्ता में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य

सामाजिक

आरएसएस का अगले एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचने और कार्य शुरू करने का लक्ष्य..!

सामाजिक//Rajasthan/Jaipur :

. कोरोना काल के बाद से देश में बढ़ा संघ का कार्य
. साढ़े पांच लाख स्वयंसेवकों ने कोरोना काल में लोगों की सेवा की
. 109 स्थानों पर होंगे संघ के शिक्षा वर्ग, 20000 स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण लेने का अनुमान

वर्ष 2020 में आई कोरोना महामारी की आपदा के बाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य बढ़ता ही रहा है। वर्ष 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखाएं लग रही थीं। इसके अलावा 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थीं। वर्ष 2023 में शाखाओं की संख्या में जोरदार बढ़ोतरी हुई। अब 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं लग रही हैं और  26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन शाखाएं चल रही हैं। इसके साथ ही 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य है कि आगामी एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक संघ को पहुंचा जाएगा।

आरएसएस के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत  भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर प्रणाम करते हुए

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भाग ले रहे हैं 1474 प्रतिनिधि

आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने बताया कि वर्ष 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। जब तक संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण करेगा, उससे पूर्व ही एक लाख स्थानों तक संघ पहुंचना चाहता है। आज रविवार, 12 मार्च से शुरू हुई आरएसएस के वर्ष 2023 की अखिल भारतीय प्रतितिधि सभा में यह तय गया है। उन्होंने बताया कि आज प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पण कर किया। हरियाणा के पानीपत  में समालखा के पट्टीकल्याणा स्थित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र पर शुरू हुई इस प्रतिनिधि सभा में देशभर से संघ के 34 अनुषांगिक संगठनों के 1474 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

दो वर्ष के लिए निकले 1300 शताब्दी स्तारक

वैद्य ने बताया कि संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं। सह सरकार्यवाह ने बताया कि सारे भारत का सारा समाज एक है, सब समान हैं, सब मेरे अपने हैं, मुझे समाज के लिए कुछ देना है, ऐसे विचारों की अनुभूति व संस्कार संघ की शाखा से आते हैं। संघ के स्वयंसेवक अपने दैनिक कार्यों में से समय निकालकर तथा अपनी जेब से पैसा खर्च कर समाज परिवर्तन में योगदान देते हुए संघ कार्य का विस्तार करते हैं। संघ की शाखा से व्यक्ति निर्माण होता है, जो आगे चलकर समाज में राष्ट्रीय विचारों का जागरण व समाज को साथ लेकर समाज परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाता है।

संघ से जुड़ने के लिए लोगों की बढ़ रही है रुचि

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भाग ले रहे हैं 1474 प्रतिनिधि

उन्होंने बताया कि आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। लोग संघ को ढूंढते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे, जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है। उन्होंने संघ के शिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संघ के प्रथम वर्ष में 15 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक, द्वितीय वर्ष में 17 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक तथा तृतीय वर्ष में 25 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 40 से अधिक आयु के स्वयंसेवकों के लिए विशेष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए जाते हैं।

स्वाधीनता के अमृतकाल पर पारित होगा एक प्रस्ताव

वैद्य ने कहा कि यह भगवान महावीर परिनिर्वाण का 2550 महोत्सव वर्ष है, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्म के 200 वर्ष तथा शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन तीनों के संदर्भ में भी प्रतिनिधि सभा में वक्तव्य पारित होंगे। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल को ध्यान में रखकर भी एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

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