ऑटोमोबाइल//Delhi/New Delhi :
वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने तय किया है कि 30,000 डीजल बसों को इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन बसों में परिवर्तित किया जाएगा। इससे न केवल ईंधन की लागत बल्कि यात्री किराया भी करीब 40 फीसदी कम हो सकेगा।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी वाहनों से उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को घटाने पर जोर देते रहे हैं। इसके लिए वे देश में 27 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे तैयार करवा रहे हैं। उम्मीद है कि इनकी मदद से प्रति वर्ष 250 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे जो देश के पर्यावरण को सुझारने में सहायता मिलेगी।
इसी संदर्भ में केंद्र सरकार अब देशभर में चलने वाली डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने पर विचार कर रही है। सरकार के लिए काम कर रही कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) ने बताया है कि केंद्र सरकार अगले 2-3 वर्षों में डीजल से चलने वाली 30 हजार प्रदूषणकारी बसों को इलेक्ट्रिक पावरट्रेन वाहनों से बदलने के लिए कह रहा है और इसके लिए जल्द ही काम शुरू होने की संभावना है.
सीईएसएल के प्रबंध निदेशक महुआ आचार्य ने बताया कंपनी के पास एक लाख इलेक्ट्रिक बसों को परिवर्तित करने की क्षमता है। सार्वजनिक परिवहन बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने से कच्चे तेल के आयात को कम करने में काफी मदद मिलेगी, जो सरकार की प्राथमिकता है।
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