राजनीति//Delhi/New Delhi :
सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च पॉलिसी पर सख्त कार्रवाई हुई है। केंद्र सरकार ने उसका एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। इस लाइसेंस की जरूरत विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए होती है। सोरोस ने कुछ दिन पहले पीएम मोदी पर जुबानी हमला किया था। इसके कुछ दिन बाद यह कदम उठाया गया है।
केंद्र सरकार ने अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक पर एक्शन लिया है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट यानी एफसीआरए लाइसेंस विदेशी चंदा लेने के लिए जरूरी होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसके बिना कोई एनजीओ फॉरेन डोनेशन प्राप्त नहीं कर सकता है। नियमों का उल्लंघन करने के लिए सीपीआर का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड हुआ है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब कुछ दिन पहले दिग्गज उद्योगपति जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया था। उन्होंने पीएम को अलोकतांत्रिक बताया था। इसके पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में इनकम टैक्स विभाग ने ‘सर्वे’ किया था। पीएम पर बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री रिलीज होने के बाद ये सर्वे हुए थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी बीते दिनों बीबीसी और सोरोस पर निशाना साधा था। उन्होंने मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर ताज्जुब जताया था। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि क्या कोई अभिव्यक्ति के नाम सुप्रीम कोर्ट और दो दशक की गहन जांच को खारिज कर सकता है। धनखड़ से पहले सरकार इस डॉक्यूमेंट्री को दुष्प्रचार का हिस्सा बता चुकी है। इस डॉक्यूमेंट्री पर उसने बैन लगा दिया था। उपराष्ट्रपति ने इशारों में जॉर्ज सोरोस पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कहीं एक सज्जन हैं। वो धन बल का इस्तेमाल करते हैं। उनके कुछ लाभार्थी हैं। ये परजीवी जैसे हैं। वे हमारे देश के लोकतंत्र की बात करते हैं।
क्या बोले थे जॉर्ज सोरोस
दरअसल, जर्मनी के म्यूनिख रक्षा सम्मेलन में जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी को लेकर कई विवादित बातें कहीं थीं। वह बोले थे कि भारत तो लोकतांत्रिक देश हैं। लेकिन, पीएम मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। मोदी के बड़ा नेता बनने की वजह भारतीय मुस्लिमों पर की गई हिंसा है। वह आगे यह भी बोले थे कि भारत रूस से कम कीमत पर तेल खरीदता है। गौतम अडानी मामले में मोदी ने चुप्पी साध रखी है। यह और बात है कि विदेशी निवेशकों और संसद में उन्हें सवालों के जवाब देने होंगे।
बीजेपी ने इस पर तीखा पलटवार किया था। उसने इसे विदेशी धरती से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश बताया था। सोरोस हंगरी-अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। ब्रिटेन में उन्हें ऐसे शख्स की तरह देखा जाता है, जिन्होंने 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को तबाह कर दिया था।
सोरोस के विवादित बयान के कुछ दिन बाद ही उद्योगपति के समर्थन वाले थिंक टैंक का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड हुआ है। एक्सपर्ट्स ने सीपीआर के खिलाफ मोदी सरकार के ऐक्शन की प्रशंसा की है। सीनियर जर्नलिस्ट का कहना है कि सीपीआर के खिलाफ एक्शन नियमों के तहत हुआ है। उस पर पिछले पांच साल से टैक्स बकाया है। एफसीआरए में ऐसा क्लॉज है, जो कहता है कि आपको फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन से मिले पैसे में से कुछ टैक्स के तौर पर देना पड़ता है। इसे नहीं दिया गया।
Piyush, Mar-02-2023
Very good