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पृथ्वी पर एक दिन में होंगे 25 घंटे, नहीं होगी समय की कमी, जानें कब होगी अद्भुत घटना

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पृथ्वी पर एक दिन में होंगे 25 घंटे, नहीं होगी समय की कमी, जानें कब होगी अद्भुत घटना

साइंस///Washington :

पृथ्वी पर एक दिन में अभी 24 घंटे होते हैं। लेकिन भविष्य में यह 25 घंटे हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में यह खुलासा किया है। टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एक दिन में घंटों की संख्या बढ़ सकती है। आइए जानें ऐसा कब होगा।

दुनिया में आज एक दिन 24 घंटे का होता है। लेकिन संभव है कि भविष्य में यह बढ़कर 25 घंटे हो जाए। टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि पृथ्वी पर एक दिन अंततः 25 घंटे तक का हो सकता है। यह शोध पृथ्वी के घूमने की गति को समझने में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। हम मानते हैं, पृथ्वी पर एक दिन सटीक 24 घंटे का होता है। लेकिन विभिन्न ठोस और तरल पदार्थों का मिश्रण ग्रह की घूर्णन गति को प्रभावित करता है।
वेधशाला में प्रोजेक्ट लीड उलरिच श्रेइबर ने कहा, ‘रोटेशन में उतार-चढ़ाव न केवल खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, हमें सटीक जलवायु मॉडल बनाने और अल नीनो जैसी मौसमी घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। डेटा जितना सटीक होगा, भविष्यवाणी भी उतनी सटीक होगी।’ एक विशेष उपकरण है, जिसे रिंग लेजर कहते हैं। यह जो पृथ्वी के घूर्णन को उल्लेखनीय सटीकता के साथ मापने में सक्षम है। पृथ्वी के घूर्णन में हर दिन दिन होने वाले छोटे बदलाव को भी यह पकड़ सकता है।
कैसे नापते हैं समय?
जियोडेटिक वेधशाला वेटजेल में यह उपकरण है, जो एक लेजर रिंग जाइरोस्कोप है, जो जमीन से 20 फीट नीचे एक दबाव वाले कक्ष में है। इस सेटअप के जरिए यह वैज्ञानिक सुनिश्चित करते हैं कि लेजर पूरी तरह से सिर्फ पृथ्वी के घूर्णन से प्रभावित हो। लेजर और दर्पण के इस्तेमाल से यह उपकरण घूर्णी अंतर को पकड़ लेता है। लेजर फ्रीक्वेंसी में बड़ी भिन्नताएं पृथ्वी के तेजी से घूमने का संकेत देती हैं। उदाहरण के लिए भूमध्य रेखा पर पृथ्वी प्रति घंटे 15 डिग्री की दूरी तय करती है, वहां लेजर हर रोज 348.5 हर्ट्स की फीक्वेंसी रिकॉर्ड करता है। यहां 1-3 माइक्रोहर्ट्स का उतार चढ़ाव होता है।
कब 25 घंटे का होगा एक दिन?
हालांकि इससे भी सही डेटा निकालना बेहद मुश्किल है। पिछले चार वर्षों में जियोडेसिस्ट्स ने इन प्रभावों को ध्यान में रखते हुए लेजर दोलनों के लिए सैद्धांतिक मॉल विकसित किया है। इसके जरिए यह काफी सटीकता से प्रति दिन का समय नाप सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि डायनासोर के समय एक दिन 23 घंटे का होता था। 1.4 अरब साल पहले एक दिन 18 घंटे 41 मिनट का होता था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 20 करोड़ साल बाद एक दिन 25 घंटे का हो जाएगा।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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