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तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है। साथ ही शांति, स्थायित्व के लिए बातचीत एक मात्र विकल्प बताया है।
तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाया है। उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बाद ही क्षेत्र में स्थिरता आएगी। दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थायित्व और समृद्धि का मार्ग स्थापित करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत बेहद जरूरी है।
पिछले साल भी अलापा था राग
अपने सम्बोधन में तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा, ‘तुर्किये इस दिशा में उठाए गए कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा।’ कश्मीर के मुद्दे पर एर्दोआन का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अभी हाल ही में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। बता दें कि तुर्किए के राष्ट्रपति ने पिछले साल भी संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्चस्तरीय बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठाया था।
पहले भी उठा चुके हैं कश्मीर मुद्दा
उस समय उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान ने 75 साल पहले अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता स्थापित करने के बाद अभी भी एक-दूसरे के साथ शांति और एकजुटता स्थापित नहीं की है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले एर्दोवान ने साल 2020 में कश्मीर की स्थिति को ‘ज्वलंत मुद्दा’ बताते हुए कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने की आलोचना की थी। तब भारत ने एर्दोआन के बयानों की निंदा की थी और देश की स्वायत्तता का सम्मान करने की मांग की थी।
भारत की तारीफ
इसके साथ ही तुर्किए के राष्ट्रपति ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इस दौरान तुर्किए ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर निशाना साधा और कहा कि वह चाहते हैं कि यूएनएससी के 15 अस्थायी सदस्यों को भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाया जाए।
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