/प्रकृति/Kerala/Trivendram :
बाबिया केरल के मशहूर अनंथापुरा लेक मंदिर की रक्षा करती थी। वह केवल चावल और गुड़ से बना मंदिर का प्रसाद खाती थी और किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाती थी।
मगरमच्छ शाकाहारी होते हैं? इस बात पर मुश्किल ही भरोसा होता है। लेकिन जब बाबिया की बात आती है तो इस पर यकीन करना पड़ता है। दरअसल, केरल की प्रसिद्ध शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया का 10 अक्टूबर को निधन हो गया। मगरमच्छ शनिवार से ही लापता थी और रविवार रात करीब 11ः30 बजे उसका शव झील पर तैरता हुआ मिला। बाबिया केरल के मशहूर अनंथापुरा लेक मंदिर की रक्षा करती थी। वह केवल चावल और गुड़ से बना मंदिर का प्रसाद खाती थी और किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाती थी। हजारों की संख्या में टूरिस्ट और श्रद्धालु इस मंदिर में बाबिया को देखने के लिए भी आते थे। अब सोशल मीडिया पर लोग बबिया को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि 200 मिलियन साल पहले मगरमच्छ वीगन हुआ करते थे। प्राचीन दांतों के जीवाश्म की स्टडी से पाया गया है कि उस समय उनके दांत आज के मगरमच्छ की तुलना में कुछ अलग होते थे, जो जानवरों का मांस खाने की बजाय सब्जियां चबाने के लिहाज से डिजाइन थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि धरती पर लाखों साल पहले रहने वाले क्रोकोडाइल और एलीगेटर फैमिली के तीन से छह सदस्य वीगन डाइट करते थे।
16 अलग-अलग जानवरों के 146 दांतों के जीवाश्म की स्टडी कर पाया गया कि उनमें और शाकाहारी डायनासोर में काफी समानताएं थीं, जो लाखों साल पहले विलुप्त हो गए।
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