साइंस//Karnataka/Bengaluru :
क्या लैंडर विक्रम सोकर उठेगा? या चंद्रमा पर उसकी ये नींद हमेशा के लिए चलती रहेगी। इन सवालों के जवाब तो उसके सिग्नल भेजने के बाद ही मिलेंगे। शिव शक्ति प्वाइंट पर सुबह एक दिन पहले ही हो चुकी है। 22 सितंबर तक तक अगर विक्रम और प्रज्ञान रोवर के सोलर पैनल पर्याप्त ऊर्जा जमा कर पाए तो शायद नींद से उठ जाएं। 22 सितंबर, 2023 को इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से एक्टिव करने की कोशिश करेंगे।
लैंडर विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जिस जगह है, वहां पर सूरज की रोशनी 13 डिग्री पर पड़ रही है। इस एंगल की शुरुआत 0 डिग्री से शुरू होकर 13 पर खत्म हो गई। यानी सूरज की रोशनी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर टेढ़ी पड़ रही है। 6 से 9 डिग्री एंगल पर सूरज की रोशनी इतनी ऊर्जा देने की क्षमता रखता है कि विक्रम नींद से जाग जाए। यह बात इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम शंकरन ने कही। उन्होंने बताया कि विक्रम और प्रज्ञान की सेहत का असली अंदाजा 22 सितंबर तक हो जाएगा।
ये बात तो तय है कि अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगर जग गए और काम करना शुरू कर दिया तो ये इसरो के लिए बोनस होगा। अब तक जितना डेटा भेजा गया है, उस हिसाब से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन पूरा हो चुका है। अगर लैंडर उठ गया तो भी बहुत सारा डेटा हमें वापस मिलेगा। कई सारे इन-सीटू एक्सपेरिमेंट फिर से हो सकेंगे। जगने के बाद कई डेटा और मिलेंगे, जिनकी एनालिसिस करके रिजल्ट आने में कई महीने लगेंगे। कुछ नई जानकारी मिल सकती है।
जग गए विक्रम-प्रज्ञान तो मिलेगी नई जानकारी
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे यंत्र जो चांद की सतह, भूकंपीय गतिविधियों, तापमान, तत्व, खनिज, प्लाज्मा आदि की जांच कर रहे हैं, वो फिर से काम करने लगें तो हैरानी नहीं होगी। हालांकि जरूरी नहीं कि ऐसा हो, क्योंकि ये सारे यंत्र माइनस 250 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बर्दाश्त कर चुके हैं। कौन सा यंत्र सही है, कौन नहीं... ये पता नहीं। शिव शक्ति प्वाइंट पर सुबह 20 सितंबर को हो गई चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव से 600 मीटर दूर मौजूद शिव शक्ति प्वाइंट पर 20 सितंबर को सुबह हो गई थी। तब से वहां रोशनी है। सूरज की रोशनी जो अगले 14-15 दिनों तक रहेगी। फिलहाल विक्रम लैंडर का रिसीवर ऑन है। बाकी सारे यंत्र बंद है।
गर्म हो चुके होंगे यंत्र
22 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास करेंगे। तब तक लैंडर के अंदर लगी बैटरी चार्ज हो जाएगी। सारे यंत्र ठंड से निकलने के बाद गर्म हो चुके होंगे। एक्टिव हो चुके होंगे। विक्रम लैंडर को 4 सितंबर 2023 को सुला दिया गया है। उसके सारे पेलोड्स बंद कर दिए गए थे। विक्रम अपने सोने से पहले चांद पर एक बार और छलांग भी लगा चुका है। छलांग के पहले और बाद की फोटो भी इसरो ने जारी भी की थी। जिसमें जगह बदली हुई दिख रही है। विक्रम ने ये छलांग 3 सितंबर को लगाई थी। अपनी जगह से कूदकर 30-40 सेंटीमीटर दूर गया था। हवा में 40 सेंटीमीटर ऊपर तक कूदा था। विक्रम की यह छलांग भविष्य के सैंपल रिटर्न और इंसानी मिशन में इसरो की मदद करेगा।
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
1. रंभा: यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा।
2. चास्टे: यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा।
3. इल्सा: यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे: यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।
प्रज्ञान के पेलोड्स क्या करेंगे?
1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप: यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा। जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी।
2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर: यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा। साथ ही, खनिजों की खोज करेगा।
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