आर्थिक//Delhi/New Delhi :
जल्दी ही खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आने के आसार हैं। कारण है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने त्योहारी सीजन में खाद्य तेलो की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए इनके मूल्यों को नियंत्रित रखने के लिए इसके आयात पर कस्टम ड्यूटी में छूट जारी रखने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि आमतौर पर त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में मांग अधिक होने के कारण तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है। लेकिन अब अब सरकार की ओर से कहा गया है कि खाद्य तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में छूट अगले छह महीने यानी वर्ष 2023 के मार्च तक जारी करेगी।
इसके अलावा भारत सरकार ने कच्चे पाम ऑयल का आधार मूल्य 996 डॉलर प्रति टन से कम करके 937 डॉलर कर दिया है। पाम ऑयल के आधार मूल्य में कमी किये जाने से अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव रहेगा और इससे भी इनके मूल्यों में कमी हो सकती है। पॉम आयल के आधार मूल्य पर यह गणना होती है कि आयात करने वाले को कितना टैक्स देना होगा.
उल्लेखनीय है भारत में खाद्य तेल की जरूरत का दो तिहाई आयात किया जाता है। बीते कुछ महीनों में रूस यूक्रेन संकट और इंडोनेशिया की ओर से पॉम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद देश में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी। हालांकि, कुछ महीने पहले इंडेनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर से बैन हटा दिया है। भारत इंडोनेशिया से सालाना करीब 80 लाख टम पाम ऑयल खरीदता है। देश में पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर फिलहाल शून्य आयात शुल्क लगता है। हालांकि, इन पर पांच फीसदी कृषि से और दस फीसदी सोशल वेलफेयर सेस चार्ज किया जाता है। सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों पर काबू रखने के लिए कई बार पाम तेलों के आयात पर शुल्क में कटौती करने का फैसला किया है।
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