राजनीति//Uttar Pradesh /Lucknow :
ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं। वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई थी।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की दो चर्चित सीटों- कैसरगंज और रायबरेली पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। पार्टी की तरफ से कैसरगंज में मौजूदा सांसद बृजभूषण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे को दिया गया है तो वहीं दूसरी और कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली सीट से योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी के नाम का ऐलान कर दिया है।
समाजवादी पार्टी से शुरू किया सफर
ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं। वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। बाद में, 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस में चमका था राजनीतिक करियर
उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई। कांग्रेस पार्टी में दिनेश प्रताप को कद, पद और ख्याति, तीनों ही मिले। पहली बार 2010 में एमएलसी बने और 2011 में उनकी भाभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। फिर 2016 में दोबारा एमएलसी बने और इनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष बने। उनके एक भाई 2017 में हरचंदपुर से कांग्रेस पार्टी से विधायक बने। फिर 2019 के आते-आते इनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया और ये बीजेपी में शामिल हो गए।
2019 में सोनिया गांधी के सामने लड़ चुके हैं चुनाव
बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए। तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था। सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी। वहीं, उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो, इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया और इस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र राज्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं।
रायबरेली अब कांग्रेस का गढ़ नहीं: दिनेश प्रताप
टिकट मिलने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि बीजेपी ने मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता पर भरोसा किया है, उसके लिए मैं पार्टी का धन्यवाद देता हूं। मैं भरोसा दिलाता हूं कि इस भरोसे को हारने नहीं दूंगा और इसे कायम रखूंगा। रायबरेली कांग्रेस का गढ़ कभी रहा होगा। लेकिन जब से मोदी जी ने देश की कमान संभाली है, तब से मैं कह सकता हूं कि रायबरेली में कांग्रेस का एक ग्राम प्रधान, जिला पंचायत तक चुनाव नहीं जीत पाए। अब रायबरेली बीजेपी का गढ़ है और सबसे ज्यादा वोट बीजेपी के पास हैं।
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