///Washington :
ओपेक प्लस समूह ने पिछले हफ्ते तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी। सऊदी अरब इस समूह का प्रमुख सदस्य है और रूस भी इसमें शामिल है
अमेरिका और सऊदी अरब के बीच तेल को लेकर स्थितियां ठीक नहीं है। ओपेक प्लस समूह ने पिछले हफ्ते तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी। सऊदी अरब इस समूह का प्रमुख सदस्य है और रूस भी इसमें शामिल है। इससे चिढ़े अमेरिका ने तल्ख टिप्पणी की है।
वाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सऊदी अरब के साथ अमेरिकी संबंधों पर दोबारा विचार कर रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब तेल का उत्पादन बढ़ाए ताकि वैश्विक तेल कीमतों को काबू में किया जा सके। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं, जिससे दुनियाभर में तेल महंगा हो गया है।
अमेरिका में फैली है नाराजगी
एक इंटरव्यू में किर्बी ने कहा, मुझे लगता है कि बाइडन बहुत स्पष्ट हैं कि यह एक ऐसा संबंध है, जिस पर हमें दोबारा विचार करने की जरूरत है और खासकर ओपेक के फैसले के बाद। उन्होंने कहा कि बाइडन सऊदी संबंधों के भविष्य पर कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार हैं। ओपेक प्लस की ओर से तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद से अमेरिका में सऊदी अरब को लेकर नाराजगी देखी जा रही है।
पूरी दुनिया पर पड़ सकता है असर
सऊदी अरब का कहना है कि तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को स्थिर रखने के लिए इसके उत्पादन में कटौती की गई है। यह फैसला किसी देश के समर्थन या विरोध से नहीं जुड़ा है। साफ है कि दुनिया में तेल का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला देश सऊदी अरब अगर इसमें कटौती करता है तो इसका असर भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ेगा और ग्लोबल मार्केट में तेल के दाम बढ़ जाएंगे। ओपेक प्लस ने 20 लाख बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया है।
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