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2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी कैसे बनेगा भारत? कितना आसान कितना मुश्किल

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2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी कैसे बनेगा भारत? कितना आसान कितना मुश्किल

आर्थिक//Delhi/New Delhi :

इस समय अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकनॉमी है। अनुमान है कि 2027 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। 2030 तक भारत की अर्थव्यस्था आज से लगभग दोगुना हो जाने की संभावना है।

केंद्र सरकार ने अब 2030 तक भारत को 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है। सवाल उठता है कि क्या ये लक्ष्य हासिल कर पाना भारत के लिए संभव होगा? यह लक्ष्य हासिल करने में भारत के सामने बड़ी चुनौतियां क्या हैं।

भारत अभी 3.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2014 तक भारत 2 ट्रिलियन डॉलर के साथ दसवें नंबर पर था। यानी कि 10 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी हो गई। कोविड के बाद दुनिया के कई बड़े देश खराब अर्थव्यवस्था की वजह से जूझ रहे हैं, जबकि भारत की इकनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अनुमानित विकास दर 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
7 फीसदी से ज्यादा रह सकता है ग्रोथ रेट
भारत का अंतरिम बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्रालय ने ‘द इंडियन इकनॉमीरू अ रिव्यू’ के नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन का अनुमान है कि 2024 में भारत 7 फीसदी या इससे ज्यादा की ग्रोथ रेट दर्ज करेगा। 2025 में भी 7 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। 
तीन सालों में 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन सालों में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया में तीसरा देश बन जाएगा। साल 2030 तक जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी से ज्यादा रहने की काफी संभावना है। ये लगातार ग्रोथ ही भारत को 7 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की ओर ले जाएगी। हालांकि निरंतरता और मजबूत नीतियों के बगैर मुकाम हासिल करना मुश्किल होगा। 
विकास में किस सेक्टर का ज्यादा योगदान
भारत की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी से ज्यादा योगदान सर्विस सेक्टर का है। 2023-24 में सर्विस सेक्टर 8.2 फीसदी की विकास दर से बढ़ने का अनुमान है। देश को 40 फीसदी रोजगार सर्विस सेक्टर ही उपलब्ध कराता है। बैंकिंग, टेलीकॉम, टूरिस्ट, एजुकेशन, हेल्थ, आईटी, मीडिया जैसे सेक्टर करोड़ों भारतीय के लिए आजीविका का साधन हैं।
औद्योगिक क्षेत्र का स्थान दूसरा
सर्विस सेक्टर के बाद दूसरे स्थान पर भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान औद्योगिक क्षेत्र का है। औद्योगिक क्षेत्र का मतलब है फैक्ट्रियां, भारी मशीनें बनाने वाले कारखाने और सड़क, बिजली, पानी जैसी चीजें बनाने का काम। ये सब मिलकर देश के कुल उत्पादन (जीडीपी) का लगभग 31 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। इसका मतलब है कि हर 100 रुपये का जो भारत पैदा करता है, उसमें से 31 रुपये इन उद्योगों से आते हैं। ये उद्योग ऐसी चीजें बनाते हैं जिनकी जरूरत हर किसी को होती है। जैसे कि कपड़े, गाड़ियां, औजार, दवाइयां आदि। भारत इन चीजों को न सिर्फ अपने लिए बनाता है, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात भी करता है, जिससे देश की आय बढ़ती है।
जीडीपी में तीसरा स्थान कृषि का 
देश की जीडीपी में तीसरा स्थान कृषि का है, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। कृषि का विकास में करीब 17 फीसदी योगदान रहता है। खास बात ये है कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 53 फीसदी हिस्सा कृषि कार्यों में लगा हुआ है। यह न केवल लोगों को फल, सब्जी देता है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करता है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
7 ट्रिलियन डॉलर... कितना आसान, कितना मुश्किल
विकास की बुनियाद मजबूत होनी चाहिए, तभी महल टिकाऊ होगा। भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट का जोरदार काम चल रहा है। हाई-स्पीड ट्रेनें, स्मार्ट सिटीज, मेट्रो नेटवर्क - ये सारे कदम आर्थिक गतिविधि और रोजगार को बढ़ावा देते हैं। बेहतर कनेक्टिविटी बाजारों को जोड़ती है और व्यापार बढ़ता है। बुनियादी ढांचा मजबूत होना किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। सड़क, रेल, हवाई अड्डे और बंदरगाहों का नेटवर्क बढ़ाना और आधुनिकीकरण पर जोर देना जरूरी है। 2025 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क और पांचवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क बनाने की राह पर है।
आर्थिक सुधारों को हर हाल में जारी रखना होगा
द इंडियन इकनॉमी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए 7 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करना इतना आसान भी नहीं होगा। आर्थिक सुधारों को हर हाल में जारी रखकर ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अभी और आने वाले समय में दुनिया के कई देशों का एक-दूसरे टकराव होना चिंता का विषय है। इससे भारत की सप्लाई चेन में बाधा पैदा होती है। जब दो देश युद्ध में चले जाते हैं तो वहां से आयात और निर्यात लगभग खत्म हो जाता है। सप्लाई चेन ठप होने की वजह से पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ता है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहता है।
मेक इन इंडिया का जादू
आयात पर निर्भरता कम करने और अपने देश के उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में मेक इन इंडिया अभियान एक जादुई छड़ी की तरह है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत बनाना, टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर होना, स्टार्ट-अप्स को पनपने का माहौल देना। ये सारे प्रयास भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का हब बनाएंगे। विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाएंगे और आर्थिक आजादी दिलाएंगे। 
चीन पर भरोसा घटने का फायदा
मैन्युफैक्चरिंग के लिए अब तक दुनियाभर के देशों की चीन पर निर्भरता ज्यादा रही है। मगर कोविड महामारी के बाद दुनिया का चीन पर भरोसा कम हो रहा है। चीन के बाद दुनिया के लिए दूसरा सबसे बेहतर ऑप्शन भारत ही बचता है। उदाहरण के रूप में भारत अब दुनिया में सबसे बड़ा ट्रैक्टर बनाने वाला देश है। इसका मतलब है कि भारत के किसान अब दूसरे देशों से ट्रैक्टर खरीदने पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि अपने देश में ही बने ट्रैक्टर इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, भारत के ट्रैक्टर दूसरे देशों को भी बेचे जा रहे हैं, जिससे भारत की आय बढ़ रही है।
भारत में डिजिटल क्रांति 
डिजिटल क्रांति भारत की अर्थव्यवस्था में नए पंख लगा रही है। ई-कॉमर्स, फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्र रोजगार के नए रास्ते खोल रहे हैं और तमाम गतिविधियों को डिजिटल हाईवे पर दौड़ा रहे हैं। स्किल डवलपमेंट और डिजिटल लिटरेसी पर जोर दिया जा रहा है।
युवा आबादी सबसे बड़ा खजाना 
भारत का सबसे बड़ा खजाना है, युवा आबादी। जहां युवा आबादी तेजी से बढ़ रही है वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे कि बेरोजगारी और गरीबी। सरकारी आकड़ों के अनुसार, 2022-23 में भारत में बेरोजगारी दर 13.4 फीसदी थी। वहीं, करीब 16 फीसदी आबादी अभी भी गरीबी जीवन यापन कर रही है। एजुकेशन और स्किल डवलपमेंट पर निवेश करके सरकार युवा हाथों को कुशल बना सकती है और वैश्विक बाजार में उनकी मांग बढ़ा सकती है। हेल्थकेयर और सुरक्षा भी जरूरी है ताकि ये युवा पीढ़ी स्वस्थ रहे और जोश के साथ देश के विकास में योगदान दे सके।
कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार बेहद जरूरी
इसके अलावा भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की भी आवश्यकता है। इससे निवेशकों को आकर्षित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। अगर भारत सरकार सभी चुनौतियों को गंभीरता से लेती है और उन पर काम करती है तो 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना बिल्कुल संभव हो पाएगा।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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