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भारतीय कला, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत को सहेजते जवाहर कला केंद्र ने मनाया अपना  31वां स्थापना दिवस

भारतीय कला, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत को सहेजते जवाहर कला केंद्र ने मनाया अपना 31वां स्थापना दिवस

सामाजिक

भारतीय कला, संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत को सहेजते जवाहर कला केंद्र ने मनाया अपना 31वां स्थापना दिवस

सामाजिक/महोत्सव/Rajasthan/Jaipur :

प्रदेश के सबसे बड़े कला एवं सांस्कृतिक केन्द्र जवाहर कला केन्द्र ने पिछले हफ्ते जवाहर कला केन्द्र  ने अपना 31वां स्थापना दिवस मनाया। अवसर पर सोमवार को कला प्रेमियों में खासा उत्साह देखा गया।केन्द्र की ओर से आयोजित स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जिनमें बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर कला अनुरागियों ने केन्द्र के प्रति अपना लगाव जाहिर किया।अलंकार दीर्घा में केन्द्र के 31 वर्षों के सफर को तस्वीरों के जरिए बयां किया गया तो स्फटिक गैलरी में केन्द्र के कला संग्रह ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। केन्द्र की ओर से आयोजित लोक नृत्य कार्यशाला के समापन में प्रतिभागियों ने गुरु द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला में सिखाये गए लोकनृत्य मंच पर प्रस्तुत करते हुए गणगौर व घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी।  लोक सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध लोक गायिका सीमा मिश्रा और ग़ाज़ी ख़ान बरणा एवं समूह के मांगणियार कलाकारों ने राजस्थानी लोक संगीत की मधुरता फिजा में घोली।

पहले दिन सात अप्रैल को सायं सात बजे रंगायन सभागार में ग़ज़ल गायन प्रस्तुति हुई । नवोदित कलाकारों को पहचान और अनुभव को सम्मान के ध्येय के साथ आयोजित कार्यक्रम में नवोदित कलाकार नवदीप सिंह झाला और सा रे गा मा पा मेगा फाइनल विनर गायक मो. वकील एवं समूह के कलाकार ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया । जेकेके के 31 साल के शानदार सफर को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी लगायी गयी। ग़ज़ल गायन प्रस्तुति साथ ही एचिंग प्रिंट वर्कशॉप और स्फटिक गैलरी में केंद्र में प्रदर्शित कलाकृतियों का भी लोगो के सम्मुख प्रदर्शन किया गया।

दूसरे दिन आठ अप्रैल को डॉ. रूप सिंह शेखावत के निर्देशन में हुई लोकनृत्य कार्यशाला का समापन समारोह कृष्णायन सभागार में आयोजित किया गया। पारंपरिक वेशभूषा में तैयार 25 से अधिक प्रतिभागियों ने गणगौर के अवसर पर होने वाले नृत्य से प्रस्तुति की शुरुआत की। नृत्य निर्देशक डॉ. रूप सिंह शेखावत एवं सहायक प्रशिक्षिका गुलशन सोनी के निर्देशन में सभागार में ईसर और गणगौर की प्रतिमा भी विराजमान की गयी , जिसके समक्ष 'भंवर म्हाने पूजन दो गणगौर', 'हठीला हठ छोड़ो' गीत पर नृत्य कर तथ्या  टिक्कीवाल , निहारिका गोयल , नीता दवे , धृति त्रिपाठी , वर्षा रानी भारतीय , नगीना यादव , सरला कुमारी , नंदिनी पंजवानी , रूचि सिंह , सौम्या , श्वेता गुप्ता सहित अन्य प्रतिभागियों ने लोक संस्कृति के सौंदर्य से सराबोर कर दिया। घूमर नृत्य के साथ प्रस्तुति का समापन हुआ। मुन्ना लाल भाट ने गायन किया व ढोलक पर विजेन्द्र सिंह राठौड़, तबले पर विजय बानेट ने संगत की। केन्द्र की अति. महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत ने सभी को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कलाकारों की हौसला अफजाई की।

लोक नृत्य का आनंद उठाने के बाद लोक संगीत के लालित्य से रूबरू होने के लिए कला अनुरागी रंगायन सभागार में जुटने लगे। प्रसिद्ध लोक गायिका सीमा मिश्रा ने अपने पारंपरिक लोक गायन और ग़ाज़ी ख़ान बरणा ने मांगणियार शैली गायन में जुगलबंदी कर श्रोताओं को एक अविस्मरणीय प्रस्तुति का अनुभव दिया। घूमर के साथ उन्होंने इस सुरीले सफर की शुरुआत की। 'आलीजा बेगा आई जो', 'मैं तो रमवा ने आई सा', 'टूटे बाजूबंद री लूम' सरीखे लोक गीतों के साथ दोनों ने मधुरता घोली। इसके बाद वाद्य यंत्रों की धुनों ने अपना जादू चलाया। खड़ताल-ढोलक और मोरचंग की जुगलबंदी ने सभी को रोमांचित कर दिया। इसके बाद सभी सूफी तरानों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। 'दमादम मस्त कलंदर' और 'छाप तिलक' गीत पर सभी झूमते नजर आए। ढोलक पर महेंद्र शर्मा, पवन डांगी, जस्सू खान, तबले पर सावन डांगी, की-बोर्ड पर हेमंत डांगी, ऑक्टोपैड पर वसीम ख़ान, भांवरू ख़ान लंगा ने सिंधी सारंगी, धानू ख़ान ने खड़ताल, मोरचंग, भपंग व दर्रे ख़ान ने गायन के साथ हारमोनियम पर संगत की।

राजस्थान विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग की तरफ से जवाहर कला केंद्र में सात दिवसीय 'एचिंग प्रिंट मेकिंग' का आयोजन किया गया । इसमें एम.ए सेकंड सेमेस्टर 2 के 24 छात्र-छात्राएं पारम्परिक एचिंग तकनीक को जीवंत करने में अपना योगदान दिया ।इस दौरान एकता शर्मा, असिस्टेंट प्रो. आईआईएस यूनिवर्सिटी व सुब्रत मंडल जैसे विशेषज्ञों से छात्रों को एचिंग की बारीकियां सीखने का मौका मिलेगा। राजस्थान विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में एसोसिएट प्रो. व कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ. अमिता राज गोयल ने बताया कि एचिंग एक पुरानी विधा है। इसके जरिये चित्र तैयार करने के लिए धातु की प्लेट पर आकृति उकेरकर उसमें स्याही डालने के बाद प्रिंट निकाला जाता है। वर्कशॉप के दौरान तैयार चित्रों की आगामी दिनों में प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी।

जवाहर कला केंद्र के अति महानिदेशक प्रियंका जोधावत ने कहा कि कला विधाओं के संरक्षण के लिए युवाओं को निरंतर प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। इसी ध्येय के साथ जवाहर कला केंद्र की ओर से विशेषज्ञों के सानिध्य में विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है । पूरे साल हम देखते हैं कि यहाँ पूरे साल युवा पीढ़ी के कलाप्रेमी बच्चो को जब पहली बार मंच मिल रहा है उन्हें जब हमारे स्थापित कलाकार के सानिध्य में मंच मिलता है , तो जितने भी कला रसिक दर्शक आते हैं वे सब बहुत एप्रिशियेट करते हैं।

बता दें कि जवाहर कला केंद्र  भारतीय कला व संस्कृति की विभिन्न शैलियों के संरक्षण और उनके प्रसार प्रचार पर केंद्रित है। यह जयपुर की दृश्य और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक सुशोभित करता है। जवाहर कला केन्द्र की ओर से 8 से 14 अप्रैल तक प्रात: 11 से सायं 7 बजे दो प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया गया । स्फटिक दीर्घा में केन्द्र के कला संग्रह को प्रदर्शित किया गया । वहीं अलंकार कला दीर्घा में होने वाली 'जवाहर कला केंद्र- एक सिंहावलोकन प्रदर्शनी' में केन्द्र के कलात्मक सफर के सौंदर्य को बयां करने वाले छायाचित्र व प्रिंट प्रदर्शित किये गये।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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